10/15/2016

जांजगीर-चांपा जिला - Janjgir-Champa district


स्थापना - 25 मई 1998
मुख्यालय - जांजगीर

बिलासपुर जिलें से पृथक होकर 25 मई 1998 को जांजगीर-चांपा जिलें की स्थापना हुई। जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़ के केंद्र में स्थित है और इसलिए यह छत्तीसगढ़ के दिल के रूप में माना जाता है। जिला मुख्यालय जांजगीर है। जांजगीर-चांपा जिला राज्य छत्तीसगढ़ में अनाज का एक प्रमुख उत्पादक है।

इतिहास :
जाज्वल्यपुर ( वर्तमान - जांजगीर ) नगर की स्थापना रतनपुर राज्य के हैहयवंशी राजा जाज्वल्य देव प्रथम ने की थी। जांजगीर नाम जाज्वल्यपुर नाम का अपभ्रंश माना जाता है।

जांजगीर नगर में स्थित विष्णु मंदिर इस जिले के सुनहरे अतीत को दर्शाता है। यह विष्णु मंदिर वैष्णव समुदाय का एक प्राचीन कलात्मक नमूना है।

जनसंख्या : 
2011 की जनगणना के अनुसार जांजगीर-चांपा की ( छत्तीसगढ़ में स्थान ४ ) जनसंख्या १६,१९,७०७ ( पु. ८,१५,७१७ : म. ८,०३,९९० ) है। जनघनत्व ४२० ( छत्तीसगढ़ में स्थान १ ) एवं दशकीय वृद्धि दर २२. ९४% ( छत्तीसगढ़ में स्थान ४ ) है।

पर्यटन स्थल
दल्हा/दलहा पहाड़ : यह पहाड़ जिले के अकलतरा तहसील में स्थित है। यह धर्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। पूर्ण पढ़ें

नहरिया बाबा
यह मंदिर जांजगीर शहर में नहर के किनारे स्थित है, जिस वजह से इसे नहरिया बाबा कहा जाता है। यह एक हनुमान मंदिर है।

घटादाई (पहरिया) (त्रिपुर सिंघरदेवी)
त्रिपुर सिंघरदेवी का मंदिर जंगल और पहाड़ो से घिरा है। जो कि इसकी सुंदरता को बढ़ाता है। जांजगीर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

पीथमपुर (शिव मंदिर)
गवान शिव मंदिर जांजगीर से 10 किलोमीटर की दूरी पर हसदेव नदी के तट पर स्थित है जो कि कलेश्वरनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। महाशिवरात्रि एवं रंग पंचमी त्यौहार के समय 10 दिन का मेला आयोजित किया जाता है।

अड़भार
जांजगीर जिले के मालखरौदा तहसील में स्थित शहर सक्ती से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है। इसका निर्माण 5वीं शताब्दी में माना जाता है। जिसमें आठ हाथ वाली देवी विराजमान है। नवरात्रि के अवसर पर यहॉ ज्योति कलश जलाया जाता हैं।

मदनपुरगढ़
यह मंदिर जांजगीर से 10 किलोमीटर की दूरी पर हसदेव नदी के तट पर स्थित हैं। यह एक प्रसिद्ध देवी मंदिर है यहॉ नवरात्रि का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं।

मगरमच्छ संरक्षण केंद्र
यह जिले के अकलतरा तहसील के कोटमिसोनार ग्राम में स्थित है। यह प्रदेश का एक मात्र मगरमच्छ का प्राकृतिक संरक्षण केंद्र है।

चंद्रहासिनी देवी मंदिर 
तहसील मुख्यालय डभरा से 22 किलोमीटर की दूरी पर महानदी के तट पर चन्द्रहासिनी देवी माता का एक अद्भुत मंदिर है। नवरात्रि के समय यहॉ भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। साथ ही यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहॉ अन्य राज्यों जैसे ओडिसा से भी लोग आते है।

दमाऊधारा
जांजगीर जिले के सक्ती तहसील में सक्ती-कोरबा के रास्ते में एक आकर्षण का केन्द्र हैं यहॉ प्राकृतिक पानी का जल प्रपात, गुफाएॅ रामजानकी मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर, ऋषभ देव मंदिर इत्यादि है। इसके पास ही अन्य पर्यटन स्थलों पंचवटी, सीतामणी आदि आकर्षित करने वाले पर्यटन स्थल है।

देवर घटा
पामगढ़ तहसील कार्यालय से 22 कि. मी. दक्षिण पश्चिम की ओर नदियों महानदी, लीलागर एवं शिवनाथ के संगम स्थल जो कि पर्यटन स्थल के रूप में विकसित है।

लक्ष्मणेश्वर मंदिर
यह मंदिर छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले में स्थित संस्कारधानी शिवरीनारायण से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर बसे खरौद नगर में स्थित शिव मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 6 वी शताब्दी में कराया गया था।

तुर्रीधाम (शिव मंदिर)
तुर्रीधाम के नाम से जाना जाने वाला यह मंदिर भगवान शिव का है, प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर तीन दिनों का मेला आयोजित किया जाता है।

विष्णु मंदिर (मुख्य लेख)
स्थित: जिला मुख्यालय 12 वी सदी में हैह्य वंश के राजाओं के द्वारा विष्णु मंदिर का निर्माण कराया गया। यह मंदिर वर्तमान में जॉजगीर की पुरानी बस्ती के भीमा तालाब के पास स्थित है। पूर्ण मंदिर बनाने के लिये इसे दो भागों मे निर्माण किया गया। लेकिन दोनों ही भाग को मिलाने का कार्य समय में पूर्ण नही हुआ था, इसका परिणाम यह हुआ कि दोनों भाग आज भी अलग-अलग जमीन पर रखें है।

देव धारा
देव धारा जलप्रपात जांजगीर-चाम्पा जिले में जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक मौसमी जलप्रपात है। यह प्रपात पथरीले चट्टानों के बीच स्थित है। जुलाई से अक्टूबर महीने के बीच पथरीले चट्टानों से बहने वाले पानी की वजह से एक नाला बन जाता है जिससे एक जलप्रपात का निर्माण होता है।