ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर्व इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर पर मानया जाता है। इनका जन्म इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के मुताबिक तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के12वें दिन मक्का में हुआ था। रबी-उल-अव्वल इस्लामिक चंद्र कैलेंडर का तीसरा महीना है।
मोहम्मद साहब का पूरा नाम मोहम्मद इब्र अब्दुल्लाह इब्र अब्दुल मुत्तलिब था। इनके वालिद (पिता) का नाम अब्दुल्लाह और वालदा (माता) का नाम बीबी अमीना था।
ज्ञान प्राप्ति : इस्लाम धर्म में ऐसी मान्यता है कि 610 ईस्वी में मक्का के नजदीक हीरा नाम की गुफा में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। मोहम्मद साहब अपने इसी ज्ञान को इस्लाम धर्म के ग्रंथ कुरान में जिक्र किया। साथ ही इसका उपदेश भी दिया।
कैसे मानते है पर्व ?
इस्लाम धर्म के जानकारों के मुताबिक ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर मोहम्मद साहब के सांकेतिक पैरों के चिह्न पर इबादत की जाती है। इस्लाम धर्म के अनुयायी इस पर्व को मनाने के लिए रातभर जागते हैं और दुआएं मांगते हैं। इसके साथ पैगंबर मोहम्मद साहब के उपदेश को पढ़ा जाता है और उन्हें याद किया जाता है। इस पर्व को मनाने के लिए इस्लाम धर्म के अनुयायी दरगाह और मक्का-मदीना जाकर इबादत करते हैं। इसके अलावा इस दिन को शिया और सुन्नी समुदाय अलग-अलग ढंग से मनाते हैं।