प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने 25 नवंबर को "वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन" (ONOS) पहल को मंजूरी दी है, जो भारतीय शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। इस $715 मिलियन के समझौते में 30 प्रमुख वैश्विक प्रकाशक शामिल हैं, और इसे दुनिया का सबसे बड़ा ऐसा सौदा माना जा रहा है। दो साल की कठिन बातचीत के बाद, यह योजना जनवरी 2025 में लॉन्च होगी। इस पहल का उद्देश्य 18 मिलियन छात्रों, शोधकर्ताओं और शिक्षकों को एक ही पोर्टल के माध्यम से लगभग 13,000 प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं तक निःशुल्क पहुंच प्रदान करना है। इनमें एल्सेवियर, स्प्रिंगर नेचर, और विले जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशकों की सामग्री भी शामिल होगी। सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क (INFLIBNET) के माध्यम से शोध पत्रिकाओं को प्रदान किया जाएगा, जो की विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का एक स्वायत्त अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र है। IIM मुंबई के अनुसार, ONOS योजना शोध खर्चों को लगभग 18% तक कम कर सकती है, जिससे यह शिक्षा और शोध क्षेत्र के लिए गेम-चेंजिंग साबित होगी। यह पहल न केवल लागत कम करेगी, बल्कि ज्ञान की पहुंच को भी व्यापक बनाएगी, जो ...
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