करील या या बांस के कोपले ( गोंडी में बास्ता ) बांस के पेड़ों की कोमल कोपलें (नए बाँस के पौधे जो जमीन से निकलती हैं) होती हैं, जो खाने लायक होते है। खाने के लिये कुछ विषेश बांस की प्रजातियों का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे की वल्गेरिस (vulgaris) और फीलोस्टैचिस एडुलिस (Phyllostachys edulis) आदि। इसे खाने लायक बनाने से पहले उबाला जाता है।
करील का उपयोग कई एशियाई व्यंजनों और शोरबा में सब्जियों के रूप में किया जाता है। ये बाजार में ताजा, सूखे और डिब्बाबंद उपलब्ध हैं। छत्तीसगढ़ में मानसून के आने पर बाजार में ताजा करील मिलता है।
औषधीय गुण
बांस में सैचुरेटिड फैट, कोलेस्ट्रोल और सोडियम कम होता है तथा रेशों (फाइबर), विटामिन-सी, मैगनीज, प्रोटीन, विटामिन ई, थायामिन, विटामिन बी6, फास्फोरस, पोटेशियम, जिंक, कॉपर, रिबोफ्लेविन, नियासिन और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
Source : Down To Earth