भारत में करीब 1652 ( करीब 63 गैर भारतीय ) भाषायें प्रचलन में हैं, जबकि संविधान द्वारा 22 भाषाओं को राजभाषा के रूप में मान्यता प्रदान की गयी है। संविधान के अनुच्छेद 344 के अंतर्गत पहले केवल 15 भाषाओं को राजभाषा की मान्यता दी गयी थी, लेकिन 21वें संविधान (1967) संशोधन के द्वारा सिन्धी को तथा 71वाँ संविधान संशोधन (1992) द्वारा नेपाली, कोंकणी तथा मणिपुरी को भी राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया। बाद में 92वाँ संविधान संशोधन (2003) के द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में चार नई भाषाओं बोडो, डोगरी, मैथिली तथा संथाली को राजभाषा में शामिल कर लिया गया।
इन 22 भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेज़ी भी सहायक राजभाषा है और यह मिज़ोरम, नागालैण्ड तथा मेघालय की राजभाषा भी है। कुल मिलाकर भारत में 58 भाषाओं में स्कूलों में पढ़ायी की जाती है। संविधान की आठवीं अनुसूची में उन भाषाओं का उल्लेख किया गया है, जिन्हें राजभाषा की संज्ञा दी गई है। अनुच्छेद 349 के अनुसार भाषा संबंधीत कोई भी विधेयक या संशोधन संसद में राष्ट्रपति की पूर्वानुमति से ही रखा जायेगा। राष्ट्रपति यह अनुमती राजभाषा आयोग और संसदीय समिति की सिफारिश पर ही दे सकतें है।
संघ की भाषा :
संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ की भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी लेकिन संविधान के बाद 15 वर्षों तक अर्थात् 1965 तक संघ की भाषा के रूप में अंग्रेज़ी का प्रयोग किया जाना था और संसद को यह अधिकार (343(3)) दिया गया कि वह चाहे तो संघ की भाषा के रूप में अंग्रेज़ी के प्रयोग की अवधि को बढ़ा सकती थी। इसलिए संसद ने 1963 में राजभाषा अधिनियम, 1963 पारित करके यह व्यवस्था कर दी कि संघ भाषा के रूप में अंग्रेज़ी का प्रयोग 1971 तक करता रहेगा, लेकिन इस नियम में संशोधन करके अंग्रेज़ी के प्रयोग अनिश्चित काल तक के लिये कर दिया गया।
हिंदी दिवस :
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था और इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। देश में पहली बार 14 सितंबर, 1953 को हिंदी दिवस मनाया गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए 2006 में प्रति वर्ष 10 जनवरी को हिंदी दिवस मनाने का एलान किया था। विश्व में हिंदी का विकास करने और एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के तौर पर इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिंदी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था, इस वजह से इस दिन को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
अनुच्छेद 351 में संघ का यह कर्तव्य है की वह हिंदी का प्रसार व विकास करें।
योगदान :
हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में महान साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंह योगदान रहा है। व्यौहार राजेन्द्र सिंह का जन्म 14 सितंबर, 1900 को मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुआ था। सविंधान सभा ने उनके अथक प्रयास पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए 14 सितंबर, 1949 को सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि हिंदी ही देश की राष्ट्रभाषा होगी। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास की भी अहम भूमिका रही है.