भारत में इस्लामी वास्तुकला की शुरुवात इस्लामिक आक्रांताओं के हाथों में सत्ता आने के बाद हुई। ये इस्लाम धर्म से प्रभावित है और इस्लामिक शासको एवं सरकारों द्वारा दुनिया भर में प्रचारित की गयी।
इस्लामी भवन निर्माण को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है; धार्मिक एवं गैर धार्मिक इमारतें।
इस्लामिक कला में भारतीय एवं ईरानी शैलियों के मिश्रण का प्रमाण मिलते हैं। साथ ही सुल्तानों, अमीरों एवं सूफियों के मकबरे के निर्माण की परंपरा भी इसी कला के साथ शुरू हुई।
इसकी मुख्य विशेषताएं शहतीरी शिल्पकला, मेहराबी गुंबद कला और इमारतों की साज-सज्जा में भारतीय अलंकरण और इस्लामिक सादगी का समन्वय हुआ जो कि "अरबस्क शैली" के रूप में जानी गई।