पैसे का अवमूल्यन और पुनर्मूल्यांकन क्या है? What is what is Devaluation and Revaluation of Money / Rupee
आधुनिक मौद्रिक नीति में घरेलू मुद्रा का मूल्य बाह्य-मूल्य ( विदेशी मुद्राओं के मूल्य) से जान-बूझकर कम कर देना "मुद्रा का अवमूल्यन (Devaluation of Money)" कहलाता है। अवमूल्यन के विपरीत, घरेलू मुद्रा को और अधिक महंगा बनाने वाली विनिमय दर में बदलाव को पुनर्मूल्यांकन (Revaluation) कहा जाता है।
अवमूल्यन (Devaluation) परिणाम क्या होता है ?
- देश की मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी।
- विदेशी ग्राहकों के लिए निर्यात सस्ता है
- घरेलू ग्राहकों के लिए आयात महंगा।
- अल्पावधि के लिए, अवमूल्यन की वजह से मुद्रास्फीति, उच्च विकास और निर्यात की बढ़ती मांग बढ़ती है।
मुद्रा युद्ध (Currency war) क्या होता है ?
मुद्रा युद्ध को प्रतिस्पर्धी अवमूल्यन के रूप में भी जाना जाता है, यह रक ऐसी स्थिति है जिसमे एक देश अन्य मुद्राओं की तुलना में अपनी मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट करता है , ताकि अन्य देशों से व्यापार लाभ हासिल कर सके। यदि सभी देश यह रणनीति अपनाते हैं, तो इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में समान गिरावट आ सकती है, जिससे सभी देशों को नुकसान हो सकता है।
भारत में अवमूल्यन
वर्ष 1949, 1966 और 1991 में भारतीय रुपये का अवमूल्यन किया गया था। लेकिन 1991 में, अवमूल्यन दो चरणों में किया गया था - 1 जुलाई और 3 जुलाई को। इसलिए, कह सकते है कि भारत में मुद्रा का अवमूल्यन 3 चरणों में 4 बार किया गया।