भारत सरकार ने दक्षिण अफ्रीका से चीतों को मध्य प्रदेश लाने के लिए तैयार है। यदि जंगल में चीतों का पुन: प्रवेश सफल होता है तो यह दशकों के प्रयास का परिणाम होगा। नामीबिया से लाए जाने के बाद चीतों को मध्यप्रदेश के कुनो पार्क में रखा जाएगा। परन्तु हमेसा से ऐसा नहीं था।
भारत में चीता की उपस्थिति पुरातन काल से रही है। चीता (Cheetah) शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के "चित्रकाय" शब्द से मानी गई है, जिसका अर्थ होता है 'बहुरंगी शरीर वाला'।
एशियाई चीते को भारतीय राजाओं और राजकुमारों द्वारा चिकारे और काले हिरणों का शिकार करने के लिए रखा रखा जाता था। वर्ष 1608 में, ओरछा में राजा वीर सिंह देव के कब्जे में एक सफेद चीता (अल्बिनो) था। यह एकमात्र रिकॉर्ड किया गया सफेद चीता कहा जाता है। मुगल राजा जहांगीर ने अपनी पुस्तक तुजुक-ए जहांगीरी में नीले रंग के चीते का भी उल्लेख किया है।
विलुप्ति :
20वीं शताब्दी आते-आते चीते की शिकार को होड़ लग गयी। चीतों के शिकार के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाने लगा। राजा अपने ताकत को दिखाने के लिए भी शिकार करते थे। यह माना जाता है कि कोरिया, वर्तमान छत्तीसगढ़ के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने वर्ष 1947 को भारत में अंतिम 3 दर्ज किए गए चीतों का शिकार किया। इसके बाद भारत में कोई चीता नहीं दिख।
वर्ष 1951 में भी एक मादा चीते को छत्तीसगढ़ के कोरिया में देखे जाने का उल्लेख मिलता है। एक अन्य जगह पर 1968 में भी एक चीते को देखे जाने की बात कही गयी है। हालाँकि, इसकी कोई पुष्टि नहीं कि जा सकती है।
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