SC/ST आरक्षण उपवर्गीकरण क्या है ?



सुप्रीम कोर्ट में सात जजों की संविधान पीठ ने  1 अगस्त, 2024 को 6:1 के बहुमत से ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में 2004 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि आरक्षण के उद्देश्य से अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) का उप-वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है। 

इस फैसले के बाद राज्यो के द्वारा आरक्षित श्रेणी समूहों, अर्थात अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों (एससी/एसटी) को आरक्षण का लाभ देने के लिए उनके पारस्परिक पिछड़ेपन के आधार पर विभिन्न समूहों में उप-वर्गीकृत किया जा सकता है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने 8 फरवरी, 2024 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। वर्ष 2004 में, ‘ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य’ में पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि केवल राष्ट्रपति ही यह अधिसूचित कर सकते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार कौन से समुदाय आरक्षण का लाभ प्राप्त कर सकते हैं और राज्यों के पास इसके साथ छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है।