शिमला समझौता (Shimla Agreement) क्या है ?


शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में किया गया एक शांति समझौता है। इस संधि पर 1972 में भारत के शिमला में पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो और भारत की प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।इस समझौते के परिणामस्वरूप पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से बांग्लादेश को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी।


  1. समय और स्थान – यह समझौता 2 जुलाई 1972 को शिमला (हिमाचल प्रदेश) में हुआ था। जिसे 4 अगस्त 1972 से प्रभावित किया गया।

  2. हस्ताक्षरकर्ता – भारत की ओर से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने इस पर हस्ताक्षर किए।

  3. पृष्ठभूमि – यह समझौता 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद हुआ, जिसमें भारत की विजय हुई और बांग्लादेश का निर्माण हुआ।

  4. युद्धबंदियों की वापसी – भारत ने 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को मानवीय आधार पर बिना किसी ठोस शर्त के वापस किया।

  5. कब्जाए गए क्षेत्र लौटाए – भारत ने पाकिस्तान से कब्जाए गए लगभग 13,000 वर्ग किमी क्षेत्र को लौटा दिया।

  6. द्विपक्षीयता का सिद्धांत – समझौते में तय किया गया कि भारत-पाक अपने विवाद आपसी बातचीत से सुलझाएंगे, किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं होगी।

  7. कश्मीर पर अस्पष्टता – समझौते में कश्मीर मुद्दे को हल करने की बात तो है, पर कोई स्पष्ट समाधान या समयसीमा नहीं दी गई।

  8. एलओसी की स्थापना – युद्धविराम रेखा को औपचारिक रूप से "लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC)" के रूप में मान्यता दी गई।

  9. शांति और स्थायित्व का उद्देश्य – समझौते का मुख्य उद्देश्य भविष्य में युद्धों को रोकना और शांतिपूर्ण संबंध स्थापित करना था।

  10. लंबी अवधि में असफलता – 1984 में सियाचिन संघर्ष और 1999 में कारगिल युद्ध ने दिखा दिया कि यह समझौता स्थायी शांति लाने में असफल रहा।