चंदेनी, लोरिकायन, लोरिक की कथा छत्तीसगढ़ में लोरिक चंदा नाम से ख्यात है, यह लोरिक चंदा की प्रेम कहानी है। यह दो शैलियों में पाया जाता है। लोक कथा एवं लोक गीत - नृत्य।
लोरिक - लोरिक, पूर्वी उत्तर प्रदेश की अहीर जाति की दंतकथा का एक दिव्य चरित्र है। यह गाथा भोजपुरी भाषा की एक नीति कथा है। लोरिक को एतिहासिक महानायक व अहीरो के महान पूर्वज के रूप में देखा जाता है।इसे अहीर जाति की रामायण भी कहा जाता है।
यह गाथा एक विवाहित राजपूत राजकुमारी चंदा व अहीर लोरिक के प्रेम संबंध एवं लोरिक द्वारा पारिवारिक विरोध, सामाजिक तिरस्कार का सामना करते हुये बच निकालने की घटनाओं पर आधारित है। गीत - नृत्य रात भर चलता है जिसमे पुरुष विशेष वेश-भूषा में चंदेनी प्रेमगाथा नृत्य के साथ प्रस्तुत करते है। नृत्य में टिमकी एवं ढोलक वाद्य यंत्र का उपयोग किया जाता है।
इतिहास व साहित्य में लोरिकी
सूफी कवि मौलाना दाऊद ने १३७९ प्रथम हिंदी सूफी प्रेमकाव्य 'चंदायन' लिखने के लिए लोरिक और चंदा के लोक महाग्रंथ को चुना था। इनका का मानना था कि 'चंदायन' एक दिव्य सत्य है तथा इसकी श्रुतियाँ, कुरान की आयतों के समतुल्य है।
लोरिक चंदा गाथा : ( गाथा के पूर्व स्मरण का गीत )
लोरिक - लोरिक, पूर्वी उत्तर प्रदेश की अहीर जाति की दंतकथा का एक दिव्य चरित्र है। यह गाथा भोजपुरी भाषा की एक नीति कथा है। लोरिक को एतिहासिक महानायक व अहीरो के महान पूर्वज के रूप में देखा जाता है।इसे अहीर जाति की रामायण भी कहा जाता है।
यह गाथा एक विवाहित राजपूत राजकुमारी चंदा व अहीर लोरिक के प्रेम संबंध एवं लोरिक द्वारा पारिवारिक विरोध, सामाजिक तिरस्कार का सामना करते हुये बच निकालने की घटनाओं पर आधारित है। गीत - नृत्य रात भर चलता है जिसमे पुरुष विशेष वेश-भूषा में चंदेनी प्रेमगाथा नृत्य के साथ प्रस्तुत करते है। नृत्य में टिमकी एवं ढोलक वाद्य यंत्र का उपयोग किया जाता है।
इतिहास व साहित्य में लोरिकी
सूफी कवि मौलाना दाऊद ने १३७९ प्रथम हिंदी सूफी प्रेमकाव्य 'चंदायन' लिखने के लिए लोरिक और चंदा के लोक महाग्रंथ को चुना था। इनका का मानना था कि 'चंदायन' एक दिव्य सत्य है तथा इसकी श्रुतियाँ, कुरान की आयतों के समतुल्य है।
लोरिक चंदा गाथा : ( गाथा के पूर्व स्मरण का गीत )
जय महामाई मोहबा के वो
अखरा के गुरु बैताले तोर।