• नेतृत्त्व- गुण्डाधुर (नेतानार के जमींदार)
• शासक- रूद्रप्रताप सिंह देव
• उद्देश्य - शोषण के विरूद्व
• दमनकर्ता - कैप्टन गेयर
• प्रतीक- लालमिर्च+आम कि टहनी,
• अंतिम सामना अलवार में
महान भूमकाल विद्रोह ( 1910 ई. ) बस्तर में हुआ एक व्यपक एवं बड़ा आंदोलन है। भूमकाल का अर्थ भूकम्प या भूमि का कम्पन होता है। इस विद्रोह के प्रमुख नेता थे - गुण्डाधुर, डेबरीधुर, कुँवर बहादुर सिंह, बाला प्रसाद, दुलार सिंह, नाजिर।
ताड़ोकी की सभा :
अक्टूबर 1909 के दशहरे के दिन राजमाता स्वर्ण कुंवर ने लाल कालेन्द्र सिंह की उपस्थिति में ताड़ोकी की सभा में आदिवासियों को अंग्रेजों के विरूद्ध सशस्त्र क्रान्ति के लिए प्ररित किया इस सभा में लाल कालेन्द्र सिंह ने वीर गुंडाधूर को क्रांति का नेता बनाया गया। लाल कालेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में अंग्रेजों के विरूद्ध व्यापक विद्रोह करने के लिए एक गुप्त योजना बनाई गई। जनवरी 1910 को ताड़ोक में पुन- गुप्त सम्मेलन हुआ जिसके बाद फरवरी 1910 से सम्पूर्ण बस्तर क्षेत्र में विद्रोह की शुरुआत हो गई।
विद्रोह :
7 फरवरी को बस्तर के तत्कालीन राजा रुद्र प्रताप देव ने सेंट्रल प्राविंस के चीफ कमिश्नर को तार भेजकर विद्रोह की जानकारी दी और तत्काल सहायता की मांग की। अंग्रेजों ने 6 मार्च 1910 से भूमकाल विद्रोह का दमन कर दिया। लाल कालेन्द्र सिंह और राजमाता स्वर्ण कुंवर देवी को अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया। विद्रोहियों को कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
भूमकाल विद्रोह का कारण क्या था?
इस विद्रोह के कई कारण थे। अंग्रेजों द्वारा राजा रूद्रप्रतापदेव के हाथों सत्ता सौप दी थी और लाल केलेन्द्र सिंह और राजमाता सुवर्णकुंवर देवी की उपेक्षा की गई थी, जिससे नाराजगी थी। अंग्रेजो ने बस्तर के वनों को सुरक्षित वन घोषित कर दिया गया था। लगान में वृद्धि करना और ठेकेदारी प्रथा को जारी रखा।
- नई शिक्षा नीति (1835)
- बस्तर में बाहरी लोगों का आना और आदिवासियों का शोषण करना
- बेगारी प्रथा
- ईसाई मिशनरियों द्वारा आदिवासियों को धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य करना।
भूमकाल दिवस :
छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोग प्रत्येक वर्ष 10 फरवरी को भूमकाल दिवस के रूप में मनाते है
सम्मान :
छत्तीसगढ़ शासन ने गुण्डाधुर स्मृति में साहसिक कार्य तथा खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए गुण्डाधूर सम्मान स्थापित किया गया है।
अन्य विद्रोह :
अन्य विद्रोह :
- मुरिया विद्रोह
- लिंगागिरि विद्रोह
- मेरिया/माड़िया विद्रोह
- तारापुर विद्रोह
- भोपालपट्टनम संघर्ष
- परलकोट विद्रोह
- कोई विद्रोह
- हल्बा विद्रोह