• नेतृत्व- दलगंजन सिंह
• शासक- भुपालदेव
• उद्देश्य - कर बढाने के विरोध में
तारापुर आदिवासी/जनजातीय विद्रोह 1842 से 1854 ई. चला। यह विद्रोह कर वृद्धि के विरोध में किया गया था। इसका नेतृत्व तारापुर परगने के गवर्नर दलगंजन सिंह ने किया था।
मराठा शासन के आदेश पर बस्तर के राजा भुपालदेव ने तारापुर परगने का कर बड़ा दिया, नए कर से आदिवासी परेसान थे, दलगंजन सिंह और आदिवासियो ने नए कर के खिलाफ और दीवान जगतबंधु के खिलाफ विद्रोह करदिया। आदिवासियो ने दीवान जगतबंधु को पकड़लिया लेकिन राजा भुपालदेव के हस्तक्षेप करने पर उसे छोड़ दिया। दीवान जगतबंधु ने नागपुर जाकर आदिवासी विद्रोह को कुचलने का आग्रह किया, फलस्वरूप नागपुर की सेना ने तारापुर के आदिवासियो के फिलाफ युद्ध करदिया। आदिवासियो की हार हुई और उनके नेता दलगंजन सिंह को आत्मसमर्पण करना पड़ा। दलगंजन सिंह को नागपुर ले जाया गया और उन्हें ६ महीने की जेल की सजा हुई ।
आदिवासियो की विद्रोह की भावना को शांत करने के लिए दीवान को हटा दिया गया और सभी कर भी हटा लिये गये।
अन्य विद्रोह :
• शासक- भुपालदेव
• उद्देश्य - कर बढाने के विरोध में
तारापुर आदिवासी/जनजातीय विद्रोह 1842 से 1854 ई. चला। यह विद्रोह कर वृद्धि के विरोध में किया गया था। इसका नेतृत्व तारापुर परगने के गवर्नर दलगंजन सिंह ने किया था।
मराठा शासन के आदेश पर बस्तर के राजा भुपालदेव ने तारापुर परगने का कर बड़ा दिया, नए कर से आदिवासी परेसान थे, दलगंजन सिंह और आदिवासियो ने नए कर के खिलाफ और दीवान जगतबंधु के खिलाफ विद्रोह करदिया। आदिवासियो ने दीवान जगतबंधु को पकड़लिया लेकिन राजा भुपालदेव के हस्तक्षेप करने पर उसे छोड़ दिया। दीवान जगतबंधु ने नागपुर जाकर आदिवासी विद्रोह को कुचलने का आग्रह किया, फलस्वरूप नागपुर की सेना ने तारापुर के आदिवासियो के फिलाफ युद्ध करदिया। आदिवासियो की हार हुई और उनके नेता दलगंजन सिंह को आत्मसमर्पण करना पड़ा। दलगंजन सिंह को नागपुर ले जाया गया और उन्हें ६ महीने की जेल की सजा हुई ।
आदिवासियो की विद्रोह की भावना को शांत करने के लिए दीवान को हटा दिया गया और सभी कर भी हटा लिये गये।
अन्य विद्रोह :
- मुरिया विद्रोह
- लिंगागिरि विद्रोह
- मेरिया/माड़िया विद्रोह
- भोपालपट्टनम संघर्ष
- परलकोट विद्रोह
- कोई विद्रोह
- हल्बा विद्रोह
- महान भूमकाल विद्रोह