वाकाटक साम्राज्य 3 शताब्दी ईस्वी में डेक्कन से उत्पन्न हुआ था। उनका राज्य दक्षिण में मालवा, उत्तर में गुजरात, पश्चिम में अरब सागर से पूर्व में दक्षिण कोसल ( वर्तमान छत्तीसगढ़ ) तक माना जाता है। इस वंश की स्थापना 255 ई. में विन्ध्य शक्ति ने की थी।
आमतौर पर यह माना जाता है कि वाकाटक शासक परिवार प्रवरसेन I के बाद चार शाखाओं में विभाजित किया गया था। दो शाखाओं के नाम ज्ञात है और दो अज्ञात है। दो शाखाएं प्रवरपुर-नन्दिवर्धन शाखा और वत्सगुल्म शाखा है।
छत्तीसगढ़ में :
छत्तीसगढ़ में वाकाटको ने बस्तर के कोरापुट क्षेत्र में शासन किया था। इनकी राजधानी पुष्करी ( भोपालपट्टनम ) था। कवि कालिदास कुछ समय के लिये इस वंश के शासक प्रवरसेन प्रथम के दरबार में थे।
प्रमुख शासक -
प्रवरसेन प्रथम
स्कन्द वर्मन
छत्तीसगढ़ में संगर्ष :
वाकाटक राजा नरेन्द्र सेन ने नल शासक भवदत्त वर्मन के राज्य के दौरान हमला किया और राज्य का एक छोटा हिस्सा जीत लिया, लेकिन कुछ वर्षो के बाद भवदत्त वर्मन ने नरेंद्रसेन की राजधानी नन्दिवर्धन ( वर्तमान : नागपुर - महाराष्ट्र ) पर आक्रमण किया और हारे हुये हिस्से को वापस हासिल किया और राज्य का विस्तार उड़ीसा और महाराष्ट्र तक किया।
नरेंद्रसेन के पुत्र पृथ्वीसेन द्वितीय ने भवदत्त वर्मन के पुत्र अर्थपति ( अर्थपति की मृत्यु होगई ) को पराजित किया और अपने पिता के पराजय का बदला लिया। इसके बाद छत्तीसगढ़ ( दक्षिण कोशल ) पर वाकाटको के वत्सगुल्म शाखा के राजा हरिषेण ने शासन किया।
छत्तीसगढ़ ( दक्षिण कोशल ) में नल वंश की पुनर्स्थापना स्कन्दवर्मन ने की थी, 457 ईस्वी में स्कंद वर्मन कांकेर राज्य के राजा बने और 500 ईस्वी तक शासन किया। यह नल वंश के अंतिमज्ञात राजा है। इस वंश के ही शासक व्याघराज को समुद्रगुप्त ने हराया था।
आमतौर पर यह माना जाता है कि वाकाटक शासक परिवार प्रवरसेन I के बाद चार शाखाओं में विभाजित किया गया था। दो शाखाओं के नाम ज्ञात है और दो अज्ञात है। दो शाखाएं प्रवरपुर-नन्दिवर्धन शाखा और वत्सगुल्म शाखा है।
छत्तीसगढ़ में :
छत्तीसगढ़ में वाकाटको ने बस्तर के कोरापुट क्षेत्र में शासन किया था। इनकी राजधानी पुष्करी ( भोपालपट्टनम ) था। कवि कालिदास कुछ समय के लिये इस वंश के शासक प्रवरसेन प्रथम के दरबार में थे।
प्रमुख शासक -
प्रवरसेन प्रथम
स्कन्द वर्मन
छत्तीसगढ़ में संगर्ष :
वाकाटक राजा नरेन्द्र सेन ने नल शासक भवदत्त वर्मन के राज्य के दौरान हमला किया और राज्य का एक छोटा हिस्सा जीत लिया, लेकिन कुछ वर्षो के बाद भवदत्त वर्मन ने नरेंद्रसेन की राजधानी नन्दिवर्धन ( वर्तमान : नागपुर - महाराष्ट्र ) पर आक्रमण किया और हारे हुये हिस्से को वापस हासिल किया और राज्य का विस्तार उड़ीसा और महाराष्ट्र तक किया।
नरेंद्रसेन के पुत्र पृथ्वीसेन द्वितीय ने भवदत्त वर्मन के पुत्र अर्थपति ( अर्थपति की मृत्यु होगई ) को पराजित किया और अपने पिता के पराजय का बदला लिया। इसके बाद छत्तीसगढ़ ( दक्षिण कोशल ) पर वाकाटको के वत्सगुल्म शाखा के राजा हरिषेण ने शासन किया।
छत्तीसगढ़ ( दक्षिण कोशल ) में नल वंश की पुनर्स्थापना स्कन्दवर्मन ने की थी, 457 ईस्वी में स्कंद वर्मन कांकेर राज्य के राजा बने और 500 ईस्वी तक शासन किया। यह नल वंश के अंतिमज्ञात राजा है। इस वंश के ही शासक व्याघराज को समुद्रगुप्त ने हराया था।