कुटुमसर गुफा छत्तीसगढ़ के बस्तर जिला मुख्यालय जगदालपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। यह भारत की सबसे गहरी गुफा मानी जाती है। इस गुफा की गहराई जमीन से 60 -125 फीट तक है। इसकी लंबाई लगभग 4500 फीट है। इसकी खोज प्रोफेसर डॉ शंकर तिवारी ने की थी। कुटुमसर गुफा को सुरुवात में गोपंसर गुफा (गोपन = छिपी) नाम दिया गया था, लेकिन बाद में कुटुमसर गांव के निकट होने के कारण कुटमसार नाम से अधिक लोकप्रिय हो गया। वर्षा ऋतु में इस गुफा के अंदर छोटी नदियां बहती है, जिस कारण इस ऋतु में इस गुफा में प्रवेश करने की मनाही है। कुटुमसर की गुफा भ्रमण हेतु नवम्बर से मई तक खुला रहता है।
इस गुफा की खोज 1950 के दशक में भूगोल के प्रोफेसर डॉ शंकर तिवारी ने सीमित संसाधनों और उपकरणों के साथ स्थानीय आदिवासियों की मदत से की। रोमानियाई गुफा विशेषज्ञों की सहायता से 1980 में डॉ. जयंत बिस्वास ने पहली बार गुफा को व्यवस्थित रूप से मापन किया। नक्शा पहले 1990 में बिस्वास के पीएचडी शोध प्रबंध में प्रकाशित हुआ था, और 1992 में उनके द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय स्पीलेयोलॉजिकल सोसाइटी में प्रकाशित हुआ।
इस गुफा के अंदर रंग-बिरंगी अंधी मछलियां पायी जाती है। जिसकी प्रजाति का नाम प्रो.शंकर तिवारी के नाम पर ''केप्पीओला शंकराई'' नाम दिया गया है।
छत्तीसगढ़ के अन्य पुरातात्विक स्थल (गुफा)
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