5/31/2018

पृथ्वीदेव द्वितीय ( 1135 - 1165 ई.) - Prithvidev


पृथ्वीदेव द्वितीय ( 1135 - 1165 ई.) कल्चुरि वंश का राजा था। यह रत्नदेव द्वितीय का उत्तराधिकारी था। इस राजा के सर्वाधिक अभिलेख प्राप्त हुए है। यह एक प्रजा हितैषी राजा माना जाता है। इन्होंने राज्य में तालाब, मंदिर एवं बगीचों का निर्माण कराया। कोटगढ़ ताम्रपत्र से ज्ञात होता है कि जयसिंह इनका भाई था। इसके भाई अकालदेव ने अकलतरा नामक नगर बसाया। इनका सर्वाधिक विस्तृत राज्य था। इनका अंतिम अभिलेख 1163 का रतनपुर का अभिलेख है।
  • इनके सामंत वल्लभ राज ने वल्लभ पंत झील का निर्माण कराया।
  • चांदी के साबसे छोटे सिक्के जारी किए।
  • इनके समान जगतपाल या जगपाल ने सरहागढ़, झमरवद्र एवं माचका को जीता।
  • जगतपाल ने कांकेर को एक करद राज्य बनाया।
  • इन्होंने कलिंग के शासक जटेश्वर को पराजित किया।

पृथ्वीदेव द्वितीय का रतनपुर से मिला शिलालेख 1158-1159 ई. का है। इसमें लिखा है कि सामंत वल्लभराज ने विकर्णपुर में अनेक मठ, मंदिर, उद्यान और रेवंत का मंदिर बनाया। विकर्णपुर आज का कोटगढ़ है। कोटगढ़ जांजगीर-चाम्पा जिले के अकलतरा से लगा हुआ है।

निर्माण एवं जीर्णोद्धार:
इनके सामंत ब्रम्हदेव ( कलिंग युद्ध के बाद मंत्री )  द्वारा 1163 ई. में मल्हार में धूर्जटी महादेव मंदिर का निर्माण कराया गया। इनके सामन्त जगतपाल ने राजीव लोचन मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। इसके अलावा रतनपुर के गज किला का भी निर्माण इनके शासन काल में हुआ था।