सन् 1862 में रिचर्ड टेम्पल द्वरा जमींदारी का एक नये सिरे से सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वेक्षण के आधार पर 1865 में 14 जमींदारियों को रियासत का दर्जा प्रदान किया गया। इन रियासतों के प्रमुखों को रूलिंग चीफ, फ़्यूडेटरी चीफ या राजा कहा गया। इन रियासतों में साबसे बड़ी रियासत बस्तर (13 हजार वर्ग मील ) तथा सबसे छोटी रियासत सक्ति (138 वर्गमील) थी।
छत्तीसगढ़ के रियासतों को भारत संघ में विलय कराने के लिए 1947 में " कौंसिल ऑफ एक्शन इन छत्तीसगढ़" का गठन किया गया था। छत्तीसगढ़ में इस कौंसिल के अध्यक्ष ठाकुर प्यारेलाल थे। रियासतों का भारतीय संघ में विलय की प्रक्रिया 1 जनवरी 1948 को पूरा हुआ। इस संविलियन हेतु मार्गदर्शन सरदार पटेल के द्वारा दिया गया तथा छत्तीसगढ़ में पंडित रविशंकर शुक्ल ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
छत्तीसगढ़ के रियासतो के नाम :
उदयपुर (धरम जयगढ़ )
रायगढ़
सारंगढ़
रायगढ़
सारंगढ़
राजनांदगांव-
1 जनवरी 1948 को जब राजनांदगांव रियासत का स्वतंत्र भारत में विलय हुआ, तब रियासत के आखिरी राजा, दिग्विजय दास नाबालिग थे, जिस वजह से विलय संधि पर राजमाता जयंती देवी ने हस्ताक्षर किए।
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