पचराही पुरातात्विक स्थल - Archaeological site of Pachrahi



पचराही ( Pacharahi ) या सिली पचराही छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम (कवर्धा) जिले से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गांव है। पचराही एक पुरातात्विक स्थल है। यह कस्बा कंकाली टीला के नाम से मशहूर है।

यहाँ पुरातात्विक उत्खनन में प्राचीन मंदिर, बैल, लोहे का चुल्हा सहित कई सिक्के मिले हैं। इससे पचराही पुरातात्विक विशेषताओं को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर इसका खास स्थान है।

पुरातत्विक उत्खनन:
वर्ष 2007 में पुरातत्वविद् एस.एस. यादव और अतुल प्रधान की अगवाई में पचराही में पहली बार खुदाई की गई थी। खुदाई में एरिया क्रमांक-1 से मकान की संरचना एवं कल्चुरी काल का एक सोने का सिक्का मिला जिसमे नक्कड़ देव अंकित है। इस स्थान से श्रीदेव अंकित 7 सोने के सिक्को के अलावा 100 सिक्के प्राप्त हुए है। यहां करीब 84 एकड़ की भूमि है, जिसमे से सिर्फ एक हिस्से में खुदाई हुई है। यहां दस टीले मिले हैं। साथ ही पचराही से लगे बकेला में जैन समाज से जुड़े अवशेष मिले है।

पुरातत्वविद् डॉ. ए.के शर्मा के अनुसार सिली पचराही में खुदाई से इस स्थान का बसाहट, महल एवं व्यपारिक केंद्र होने का प्रमाण मिला है। यहां से मिले शिलालेख सिरपुर से मिलते-जुलते है।

उत्खनन से प्राप्त चींजे:
  • सोमवंशी राजाओ के शिलालेख
  • 1500 वर्ष पुराने मंदिर, 7 शिव मंदिर, 20 तालाबो की श्रृंखला और प्रतिमाएं ( चामुंडा देवी की छोटी एवं दुर्लभ मूर्ति )
  • 700 वर्ष पुरानी बसाहट एवं महल के साक्ष्य
  • 15 करोड़ वर्ष पुराना घोंघा का जीवाश्म
  • 1000 वर्ष पुराने सिक्के
  • 700 वर्ष पुराने नागवंशी राजाओ के सोने, चांदी एवं तांबे के 50 सिक्के।

Last Update : 17 july 2018