भारत सरकार द्वारा बढते औद्योगिकरण के कारण पर्यावरण में निरंतर हो रहे वायु प्रदूषण तथा इसकी रोकथाम के लिए यह अधिनियम, 1981 बनाया।
इस अधिनयम के पारित होने के पीछे जून, 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्टाकहोम (स्वीडन) में मानव पर्यावरण सम्मेलन की भूमिका रही है। इसकी प्रस्तावना में कहा गया है कि इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु समुचित कदम उठाना है। प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में वायु की गुणवत्ता और वायु प्रदूषण का नियंत्रण सम्मिलित है।
यह अधिनियम 29 मार्च, 1981 को परित हुआ तथा 16 मई, 1981 से लागू किया गया। इस अधिनियम में मुख्यत: मोटर-गाडियों और अन्य कारखानों से निकलने वाले धुएं और गंदगी का स्तर निर्धारित करने तथा उसे नियंत्रित करने का प्रावधान है।
वर्ष1987 में इस अधिनियम में शोर प्रदूषण को भी शामिल किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ही वायु प्रदूषण अधिनियम लागू करने का अधिकार दिया गया है। अनुच्छेद 19 के तहत, केंद्रीय बोर्ड को मुख्यत: राज्य बोर्डो के काम में तालमेल बैठाने के अधिकार दिए गये हैं। राज्यों के बोर्डो से परामर्श करके संबंधित राज्य सरकारे किसी भी क्षेत्र को वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र घोषित कर सकता है और वहाँ स्वीकृत ईंधन के अतिरिक्त, अन्य किसी भी प्रकार के प्रदूषण फैलाने वाले ईधन का प्रयोग ना रोक लगा सकती है।
इस अधिनियम में यह प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति राज्य बोर्ड की पूर्व अनुमति के बिना वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में ऐसी कोई भी औद्योगिक इकाई नहीं खोल सकता, जिसका वायु प्रदूषण अनुसूची में उल्लेख नहीं है।
वायु (प्रदूषण और नियंत्रण ) अधिनियम, 1981 वायु प्रदूषण केा रोकने का एक महत्वपूर्ण कानून है जो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को न केवल औद्योगिक इकाइयों की निगरीनी की शक्ति देता है, बल्कि प्रदूषित इकाइयों को बंद करने का भी अधिकार यह अधिनियम प्रदान करता है।
अधिनियम 1981 के अनुसार केंद्र व राज्य सरकार दोनों को वायु प्रदूषण से हाने वाले प्रभावों का सामना करने के लिए निम्नलिखित शक्तियां प्रदान की गई हैं:
- राज्य के किसी भी क्षेत्र को वायु प्रदूषित क्षेत्र घोषित करना
- प्रदूषण नियंत्रित क्षेत्रों में औद्योगिक क्रियाओं को रोकना
- औद्योगिक इकाई स्थापित करने से पहले बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना
- वायु प्रदुषकों के सैंपल इकट्ठा करना
- अधिनियम में दिए गए प्रावधानों के अनुपालन की जाँच के लिए किसी भी औद्यागिक इकाई में प्रवेश का अधिकार
- अधिनियम के प्रावधानों को उल्घंन करने वालों के विरुद्ध मुकदमा चलाने का अधिकार
- प्रदूर्षित इकाइयों को बंद करने का अधिकार