4/24/2019

बारसुर (Barsoor) - दंतेवाड़ा



बारसूर, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित एक गांव है। जो जिला मुख्यालय से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बारसूर नाग राजाओं एवं काकतीय शासकों की राजधानी रहा है।

बारसूर को तालाबो एवं मंदिरो का शहर कहा जाता है। बारसूर में 11वी एवं 12वीं शताब्दी में 147 मंदिर एवं तालाब थे। 1060 ईस्वी में छिन्दक नागवंशी राजा जगदेकभूषण धारावर्ष के सामंत चन्द्रादित्य नेे शिव मंदिर का निर्माण करवाया, एवं तालाब खुदवाया था।

>> छिंदक नागवंश का इतिहास।

यहाँ प्रसिद्ध मंदिरों में मामा-भांजा मंदिर ( मूलतः शिव मंदिर ), चंद्रादित्य, गणेश मंदिर, बत्तीसा/बत्तीसी मंदिर है। यहां के मंदिरों का निर्माण धारावर्ष के काल मे उनके सामन्त चन्द्रादित्य ने कराया था।

मंदिरो का विवरण
मामा-भंजा मंदिर दो गर्भगृह युक्त मंदिर है इनके मंडप आपस में जुड़े हुये हैं।यहाँ के भग्न मंदिरों में मैथुनरत प्रतिमाओं का अंकन भी मिलता है। इतिहासकार एवं विख्यात शिक्षाविद डॉ.के.के.झा के अनुसार यह नगर प्राचीन काल में वेवष्वत पुर के नाम से जाना जाता था।

चन्द्रादित्य मंदिर का निर्माण नाग राजा चन्द्रादित्य ने करवाया था एवं उन्हीं के नाम पर इस मंदिर को जाना जाता है।  यह एक शिव मंदिर है।

बत्तीस स्तंभों पर खड़े बत्तीसा मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थर से हुआ है। इसका निर्माण नागवंशी शासक सोमेस्वर देव के शासन काल में उनकी महरानी गंग महादेवी के द्वारा कराया गया था। बत्तिसा मन्दिर के अलावा सोलह खंभा और आठ खंभा मन्दिर का भी निर्माण कराया गया था।
बत्तीसा मंदिर मंदिर में षिव एवं नंदी की  प्रतिमायें हैं। एक हजार साल पुराने इस मंदिर को बड़े ही वैज्ञानिक तरीके से पत्थरों को व्यवस्थित कर बनाया गया है।

>> बत्तीसा मंदिर के बारे में पूर्ण पढ़े।

गणेश मंदिर : यहां भगवान गणेश की दो विशाल बलुआ पत्थर से बनी प्रतिमायें स्थित है। जो कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

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दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर जहां भगवान गणेश की दो विशालकाय मूर्ति विराजित है। एक की ऊंचाई सात फ़ीट की है तो दूसरी की पांच फ़ीट है। ये दोनों मूर्ति एक ही चट्टान पर बिना किसी जोड़ के बनाई है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण राजा बाणासुर ने करवाया था। राजा की पुत्री और उसकी सहेली दोनों भगवान गणेश की खूब पूजा करती थी। लेकिन इस इलाके में भगवान गणेश की कोई मंदिर नहीं होने के कारण राजा ने अपनी पुत्री के कहने पर इस मंदिर का निर्माण कराया।