बोध मछली बस्तर की इंद्रावती नदी में पाया जाता है। इसे बस्तर की शार्क कहा जाता है। वास्तव में यह एक कैटफिश है जिसका वैज्ञानिक नाम बोमारियस बोमारियम है। इस मछली का वजन 150 किलो तक हो जाता है। यह पानी से बाहर 24 घंटे तक रहती है।
इस मछली को पकड़ने के लिये मछुआरे लोहे की जाल का इस्तेमाल करते है क्योंकि सामान्य जाल को यह मछली अपने दांतों से काट देती है यही कारण है कि इसे बस्तर की शार्क कहा जाता है।
आस्था : इंद्रावती नदी के किनारे रहने वाले कुडूक जाति के लोग इस मछली की पूजा करते है। बारसूर का बोधघाट गांव बोध मछली के नाम पर ही पड़ा है।
विलुप्ति का खतरा: गर्मी के मौसम में इंद्रावती का जलस्तर कम होने के बाद इस मछली के शिकार में वृद्धि हो जाती है। मछली का वजन अत्यधिक होता है और मछुआरों को बाजार में इसकी अच्छि कीमत मिल जाती है, जिस वजह से मछुआरे इसका अत्यधिक शिकार करते है। बस्तर में इंद्रावती के अलावा कोटरी नदी में भी बोध मछलियां पायी जाती थी किन्तु अब वहां यह मछली बहुत कम दिखती है।
बस्तर के इंद्रावती के अतिरिक्त देश की ब्रहमपुत्र व गोदावरी के अलावा बस्तर की इंद्रावती नदी में चित्रकोट जलप्रपात के नीचे, गोदावरी नदी के संगम तक यह बोध मछली पाई जाती है।