छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग (Chhattisgarh Rajbhasha Aayog) विधेयक को 28 नवम्बर 2007 को पारित किया था। विधेयक के पास होने के उपलक्ष्य में हर साल 28 नवम्बर को "छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस" के रूप में मनाया जाता है। इस राजभाषा का प्रकाशन 11 जुलाई 2008 को राजपत्र में किया गया। इस आयोग का कार्य 14 अगस्त 2008 से चालू हुआ इस आयोग के प्रथम सचिव - पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे थे।
आयोग के उद्देश्य :-
1. राजभाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्जा दिलाना।
2. छत्तीसगढ़ी भाषा को राजकाज की भाषा में उपयोग में लाना।
3. त्रिभाषायी भाषा के रूप में शामिल पाठ्यक्रम में शामिल करना।
छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों को सम्मानित करने के लिए "छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग सम्मान 2010" स्थापित किया गया। छत्तीसगढ़ी से संबंधित किसी भी भाषा की पुस्तकों का क्रय कर संग्रहित करने की योजना 'माई कोठी' की पुस्तकों का क्रय करने की योजना है। छत्तीसगढ़ी के लुप्त होते शब्दों को संग्रहित करने हेतु 'बिजहा कार्यक्रम' प्रारंभ किया गया जिसका उद्देश्य राज्य के सभी लोगों से प्रचलन से बाहर हो रहे शब्दों को संग्रह करने की योजना है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्विद्यालय में पी.जी.डिप्लोमा इन फंक्शनल छत्तीसगढ़ी का पाठ्यक्रम प्रारंभ कराया गया। छत्तीसगढ़ी और सरगुजिहा के बीच अंतरसंबंध विषय पर अंबिकापुर मे संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसी प्रकार माई कोठी योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ एवं छत्तीसगढ़ी में लिखे साहित्य का एकत्रीकरण किया जा रहा है।
अध्यक्षों की सूची :
क्रम | नाम | कार्यकाल |
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प्रथम | पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी | 2008-2011 |
द्वितीय | श्री दानेश्वर शर्मा | 2011-2013 |
तृतीय | विनय कुमार पाठक | 2016-2018 |
प्रथम सचिव – पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे।
प्रांतीय सम्मेलन :
क्रम | स्थान | दिनांक |
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प्रथम | भिलाई | 23 से 24 फरवरी, 2013 |
द्वितीय | रायपुर | 24 से 25 फरवरी, 2014 |
तृतीय | बिलासपुर | 20 से 21 फरवरी, 2015 |
चतुर्थ | कोरबा | 19 से 20 फरवरी, 2016 |
पंचम | राजिम | 28 से 29 फरवरी, 2017 |
षष्ठम | बेमेतरा | 19 से 21 जनवरी, 2018 |
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