दिल्ली सल्तनत काल - Delhi Sultanate


भारत में दिल्ली सल्तनत का काल 1206 ई. 1562 ई. तक रहा। मोहम्मद गौरी ने वर्ष 1194 ई. में चंदवार के युद्ध में विजय प्राप्त कर दिल्ली (भारत) का शासन कुतुब-उद-दीन ऐबक (Qutb al-Din Aibak) सौप कर गजनी वापस चले गया। वर्ष 1206 ई. में मोहम्मद गौरी की मृत्यू के बाद कुतुब-उद-दीन ऐबक दिल्ली का शासक बना, और इस प्रकार दिल्ली सल्तनत के पहले वंश "ऐबक" वंश की स्थापना हुई। चूंकि कुतुब-उद-दीन ऐबक एक गुलाम था, इस वजह से इस वंश को "गुलाम" या "मामलूक" वंश कहा गया।


भारत में दिल्ली सल्तनत के स्थापना का कारण :

अरब और मध्य एशिया में इस्लाम की स्थापना के परिणामस्वरूप जो धार्मिक और राजनीतिक परिवर्तन हुये, उस वजह से प्रसारवादी गतिविधियाँ बढ़ी। इस प्रसारवादी गतिविधियों के करण भारत में इस्लामिक हमले हुये। इन हमलो के परिणामस्वरूप दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई। वर्ष 1258 में हलाकु ख़ान ने जब बगदाद को तबाह कर दिया, तब इस्लाम को मानने वाले संतों, विद्वानों, साहित्यकारों और शासकों के लिये दिल्ली सल्तनत शरणस्थली बन गयी थी।


दिल्ली सल्तनत के 5 वंश :


सल्तनत कालीन स्थापत्य
इमारतशासक
क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिदकुतुबुद्दीन ऐबक
कुतुबमीनारकुतुबुद्दीन ऐबक व इल्तुतमिश
अढ़ाई दिन का झोपड़ाकुतुबुद्दीन ऐबक
इल्तुतमिश का मक़बराइल्तुतमिश
जामा मस्जिदइल्तुतमिश
अतारकिन का दरवाज़ाइल्तुतमिश
सुल्तानगढ़ीइल्तुतमिश
लाल महलबलबन
बलबन का मक़बराबलबन
जमात खाना मस्जिदअलाउद्दीन ख़िलजी
अलाई दरवाज़ाअलाउद्दीन ख़िलजी
हज़ार सितून (स्तम्भ)अलाउद्दीन ख़िलजी
तुग़लक़ाबादग़यासुद्दीन तुग़लक़
ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बराग़यासुद्दीन तुग़लक़
आदिलाबाद का मक़बरामुहम्मद बिन तुग़लक़
जहाँपनाह नगरमुहम्मद बिन तुग़लक़
शेख़ निज़ामुद्दीन औलिया का मक़बरामुहम्मद बिन तुग़लक़
फ़िरोज़शाह तुग़लक़ का मक़बरामुहम्मद बिन तुग़लक़
फ़िरोज़शाह का मक़बराजूनाशाह ख़ानेजहाँ
काली मस्जिदजूनाशाह ख़ानेजहाँ
खिर्की मस्जिदजूनाशाह ख़ानेजहाँ
बहलोल लोदी का मक़बरालोदी काल
सिकन्दर शाह लोदी का मक़बराइब्राहीम लोदी
मोठ की मस्जिदमियाँ कुआ

दिल्ली सल्तनत का पतन
बाबर ने पानीपत के युद्ध में लोदी वंश के शासक इब्राहिम लोदी को पराजित किया था।  इसके परिणामस्वरूप "दिल्ली की सल्तनत" का पतन हुआ और भारत मुगल शासन की शुरुआत हुई।

पतन के कारण 
  • सुल्तानों के पास असीमित शक्तियां होती थी। अयोग्य सूल्तानों के समय सल्तनत का पतन की तरफ जाने लगा।
  • उत्तराधिकारियों के मध्य युद्ध की वजह से राजनीतिक अस्थिरता।
  • फिरोज तुगलक की मृत्यु के उपरान्त केन्द्रीय शक्ति अत्यन्त दुर्बल हो गया। जिस वजह से विभिन्न प्रान्तों के सूबेदारों ने विद्रोह कर अपना स्वतन्त्र राज्य स्थापित कर लिया था।
  • धार्मिक असहिष्णुता की वजह से नागरिकों में असंतोष।
  • कोई स्थायी सेना नहीं होती थी। संकट के समय सुल्तान अमीरों और प्रान्तीय शासकों की सेना की सहायता लिया करते थे।
  • तैमूर लंग के हमले ने सल्तनत को कमजोर कर दिया। उसके बाद 1526 में बाबर ने सल्तनत को समाप्त कर दिया।