त्रिपुरा की राजधानी अगरतल्ला से 178 किलोमीटर दूर है उनाकोटी नामक स्थान (Unakoti Heritage Site) पर लाखो मूर्तियां चट्टानों को काट कर बनाई गयी है। यहाँ 7 वी से 9 वी शताब्दि का शैव तीर्थस्थल स्थित है। इस जगह के निर्माण के सम्बंध मे कोई एतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
यहाँ भगवान शिव, देवी दुर्गा, भगवान विष्णु, और गणेश भगवान आदि की मूर्तियां स्थित है। इस स्थान के मध्य में भगवान शिव के 30 फिट की एक विशाल प्रतिमा मौजूद है, जिन्हें उनाकोटेश्वर के नाम से जाना जाता है। इन मूर्तियों को चट्टानों पर उकेरा गया है।
उनाकोटी का अर्थ ?
उनाकोटी, जिसका शाब्दिक अर्थ है करोड़ में एक कम।
स्थानिय कथा
भगवान शिव का शाप उनाकोटी :
एक बार भगवान शिव एक करोड़ देवी देवताओं के साथ काशी जा रहे थे, तब रात में सभी देवी-देवताओं ने उनाकोटी में रुके, लेकिन महादेव ने सभी को सूर्योदय से पहले स्थान छोड़ देने की बात कही। परन्तु, सूर्योदय के समय केवल भगवन शिव ही जग पाये और इससे कुंठित होकर भगवान शिव ने सबको शाप दे कर सारे देवी-देवतावों को पत्थर में बदल दिया, यहां एक करोड़ में एक कम मूर्ति है और इस जगह का नाम पड़ गया उनाकोटी।
कल्लू कुम्हार की उनाकोटी :
कल्लू कुम्हार नामक एक मूर्तिकार भगवान शिव का बहुत ही बड़ा भक्त रहता था। उसने कई वर्षों की तपस्या के बाद उसने भगवान से ये वर मांगा कि वे उसको अपने साथ कैलाश ले चलें, तब भगवान शिव ने ये शर्त रखी कि यदि वो एक रात में एक करोड़ मूर्ति बना देता है, तो वो उसे अपने साथ कैलाश ले जा सकते है, लेकिन वो करोड़ में एक कम मूर्ति बना पाया, जिसके चलते वो भगवान शिव के साथ जाने में असफल रहा।
Image and data source : Unakoti Heritage Site