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सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 अ, 27 अक्टूबर 2009 को संशोधन अधिनियम, 2009 के जरिए लागू किया गया था, इस अधिनियम का उद्देश्य किसी भी कंप्यूटर संसाधन के जरिए किसी जानकारी को जनता को प्राप्त करने से रोकने के लिए निर्देश जारी करने से शक्ति से संबंधित है।
प्रावधान 69A (1) इस प्रकार है, "इस संबंध में केंद्र सरकार या उसका कोई अधिकारी, जिसे विशेष रूप से इसके लिए अधिकृत किया गया है संतुष्ट होता है कि भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की सुरक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों से मित्रवत संबंधों के लिए या सार्वजनिक व्यवस्था हित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है या उपरोक्त से संबंधित किसी भी संज्ञेय अपराध के कृत्य के उकसावे को रोकने के लिए ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है, उप-धारा (2) के प्रावधानों के अधीन, लिखित रूप में दर्ज कारणों के साथ, किसी भी सरकारी या मध्यस्थ एजेंसी को किसी भी कंप्यूटर संसाधन से उत्पन्न, प्रसारित, प्राप्त, संग्रहीत या होस्ट की गई किसी भी जानकारी को जनता द्वारा प्राप्त करने से अवरुद्ध करने.. के लिए निर्देशित कर सकता है।"
पालन करने में विफल रहने पर :
उपर्युक्त उप खंड के तहत जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करने में विफल रहने पर मध्यस्थ को कारावास की सजा दी जाएगी, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना के लिए भी उत्तरदायी होगी। सूचना प्रौद्योगिकी (जनता द्वारा सूचना के अभिगम को अवरुद्ध करने के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय) नियम, 2009 इस संबंध में प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
चर्चा का कारण:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 ए के तहत 29 जून, 2020 को भारत सरकार ने 59 मोबाइल ऐप्स, 2 सितंबर, 2020 को 118 ऐप्स और 24 नवम्बर, 2020 को 43 और मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया गया।