मराठा साम्राज्य की स्थापना छत्रपति शिवाजी महाराज ने की थी। भारत में मुग़ल साम्राज्य को समाप्त करने का श्रेय मराठा साम्राज्य को ही जाता है। इसने 18 शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप पर अपना प्रभुत्व जमाया हुआ था। वर्ष 1818 में पेशवा बाजीराव द्वितीय की पानीपथ की तृतीय युद्ध में हार के साथ मराठा साम्राज्य का पतन हुआ।
छत्रपति शिवाजी
शिवाजी का जन्म पूना के निकट शिवनेर के किले में 20 अप्रैल, 1627 को हुआ था। शिवाजी शाहजी भोंसले और जीजाबाई के पुत्र थे। शिवाजी को मराठा साम्राज्य का संस्थापक कहा जाता है। शिवाजी महाराज ने बीजापुर सल्तनत से मराठा लोगो को रिहा करने का बीड़ा उठा रखा था और मुगलों की कैद से उन्होंने लाखो मराठाओ को आज़ादी दिलवाई। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे मुग़ल साम्राज्य को ख़त्म करना शुरू किया और हिंदवी स्वराज्य की स्थापना करने लगे।
वर्ष 1656 में रायगढ़ को उन्होंने अपने साम्राज्य की राजधानी घोषित की और एक आज़ाद मराठा साम्राज्य की स्थापना की। शिवाजी ने राज्य के विस्तार का आरंभ 1643 ई. में बीजापुर के सिंहगढ़ किले को जीतकर किया। इसके पश्चात 1646 ई. में तोरण के किले पर भी शिवाजी ने अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया। शिवाजी की शक्ति को दबाने के लिए बीजापुर के शासक ने सरदार अफजल खां को भेजा। शिवाजी ने 1659 ई. में अफजल खां को पराजित कर उसकी हत्या कर दी। शिवाजी की बढ़ती शक्ति से घबराकर औरंगजेब ने शाइस्ता खां को दक्षिण का गवर्नर नियुक्त किया। शिवाजी ने 1663 ई. में शाइस्ता खां को पराजित किया। जयसिंह के नेतृत्व में पुरंदर के किले पर मुगलों की विजय तथा रायगढ़ की घेराबंदी के बाद जून 1665 में मुगलों और शिवाजी के बीच पुरंदर की संधि हुई। वर्ष 1670 में शिवाजी ने मुगलों के विरुद्ध अभियान छेड़कर पुरंदर की संधि द्वारा खोये हुए किले को पुनः जीत लिया। 1670 ई. में ही शिवाजी ने सूरत को लूटा तथा मुगलों से चौथ की मांग की।
शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक 1674 में किया गया था। अपने राज्याभिषेक के बाद शिवाजी का अंतिम महत्वपूर्ण अभियान 1676 ई. में कर्नाटक अभियान था। 12 अप्रैल, 1680 को शिवाजी की मृत्यु हो गई।
प्रशासन :
- फारसी की जगह मराठी को राजभाषा का दर्जा दिया.उन्होंने राजकीय प्रयोग हेतु "राज व्याकरण कोश" नाम से एक शब्दकोश निर्मित किया।
- अष्टप्रधानों की सहायता से शासन करता था, जिनकी नियुक्ति वह स्वयं करता था।
- अष्टप्रधानों का नेता पेशवा कहलाता था। उसका पद प्रधानमंत्री के समान था।
- अन्यय सात
- लेखागार (अमात्य या मजूमदार)
- पत्राचार (सचिव, शुरु-नवीस- या चिटनिस)
- वैदेशिक मामले (सुमंत या दबीर)
- सेना / सैन्य प्रमुख ( सेनापति या सर-ए-नौबत)
- राजा की निजी सुरक्षा (मंत्री या वाकिया-नवीस)
- धार्मिक कृत्य ( पंडितराव )
- न्याय विभाग ( न्यायधिस )
- धार्मिक तथा न्याय विभागों के प्रधानों को छोड़कर बाकी अष्टप्रधान सैन्य अधिकारी भी होते थे। जब वे सैन्य-सेवा में रहते थे, उनका प्रशासकीय कार्य उनके नायब करते थे।
- मालगुजारी की वसूली का कार्य पटेलों के हाथों में था।
- राजस्व प्रणाली मालिक अम्बर की काठी प्रणाली पर आधारित थी। इस प्रणाली में भूमि के प्रत्येक भाग की माप छड़ी या काठी से की जाती थी।
- भूमि की उपज का 1/3 भाग मालगुजारी के रूप में वसूल किया जाता था।
- भूमि का विस्तृत सर्वेक्षण किया जाता था और उर्वरता के अनुसार उसका चार श्रेणियों में वर्गीकरण किया जाता था।
- विदेशी अथवा मुग़ल नियंत्रित भूमि से दो प्रकार के कर लिये जाते थे। एक को 'सरदेशमुखी' कहते थे। यह मालगुजारी एक-दसवें भाग के बराबर होता था। दूसरा 'चौथ' कहलाता था। यह मालगुजारी के एक-चौथाई भाग के बराबर होता था। चौथ देने वाले को लूटा नहीं जाता था।
- सर-ए-नौबत(सेनापति)- सेना प्रमुख
- किलादार- किलों का अधिकारी
- पायक- पैदल सैनिक
- नायक- पैदल सेना की एक टुकड़ी का प्रमुख
- हवलदार- पांच नायकों का प्रमुख
- जुमलादार- पांच हवलदारों का प्रमुख.
- घुराव- बंदूकों से लदी नाव
- गल्लिवत- 40-50 खेवैयों द्वारा खेने वाली नाव