चौरा चौरी कांड ( असहयोग आंदोलन का समापन ) – Chauri Chaura Incident


असहयोग आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के चौरी चौरा कस्बे में 4 फरवरी, 1922 को आंदोलनकारियों ने बैठक की और जुलूस निकालने के लिये पास के मुंडेरा बाज़ार को चुना गया। पुलिसकर्मियों ने उन्हें जुलूस निकालने से रोकने का प्रयास किया। इसी दौरान पुलिस और स्वयंसेवकों के बीच झड़प हो गई। पुलिस ने भीड़ पर गोली चला दी, जिसमें कुछ लोग मारे और कई घायल हो गए। इस घटना की वजह से गुस्साई भीड़ ने एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी, जिसमें 23 पुलिसकर्मी मारे गए। सुभाष चंद्र कुशवाहा ने चौरी चौरा पर 'चौरी-चौरा: विद्रोह, स्वाधीनता आंदोलन' नाम की पुस्तक लिखी है जो वर्ष 2014 में प्रकाशित हुई थी।


आंदोलनकारियों पर कार्यवाई :

चौरी चौरा कांड के बाद पुलिस ने 228 लोगों के ख़िलाफ़ गोरखपुर के सेशन कोर्ट में आरोप पत्र दाख़िल किया था, जिनमें से दो लोगो की जेल में ही मौत हो गई थी और एक व्यक्ति सरकारी गवाह बन गया, 225 लोगों पर मुक़दमा चला।

सेशन कोर्ट जज एचई होत्म्स ने 9 जनवरी, 1923 को 172 लोगों को फ़ांसी की सज़ा सुनाई थी जिसके ख़िलाफ़ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की गई। हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एडवर्ड ग्रीमवुड मीयर्स और सर थियोडोर पिगॉट की बेंच ने इस मामले में 30 अप्रैल 1923 को फ़ैसला दिया, जिसमे 14 लोगों को उम्रक़ैद और 19 को फ़ांसी की सज़ा सुनाई थी।


महात्मा गांधी की प्रतिक्रिया:

गांधीजी ने पुलिसकर्मियों की हत्या की निंदा की और आस-पास के गाँवों में स्वयंसेवक समूहों को भंग कर दिया तथा सहानुभूति जताने के लिये एक ‘चौरी चौरा सहायता कोष’ स्थापना की।

गांधीजी ने 12 फरवरी, 1922 को यह आंदोलन औपचारिक रूप से वापस ले लिया। 16 फरवरी, 1922 को गांधीजी ने अपने लेख 'चौरी चौरा का अपराध' में लिखा कि अगर ये आंदोलन वापस नहीं लिया जाता तो दूसरी जगहों पर भी ऐसी घटनाएँ होतीं।


महात्मा गांधी जी पर कार्यवाई :

10 मार्च, 1922 को गांधी जी को अंग्रेजो ने देशद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया। 18 मार्च, 1922 को ही उन्हें 6 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई थी। गांधी जी की तबियत खराब रहने लगी और उन्हें गांधी जी को फरवरी, 1924 को रिहा कर दिया गया।


स्मारक :

वर्ष 1971 में गोरखपुर ज़िले के लोगों ने चौरी-चौरा शहीद स्मारक समिति का गठन किया। इस समिति ने 1973 में चौरी-चौरा में 12.2 मीटर ऊंचा एक मीनार बनाई। चौरी-चौरा की घटना की याद में वर्ष 1993 में स्मारक तैयार हुआ था, जिसका सौंदर्यीकरण करवाए जाने के बाद साल 2021 जनवरी में लोकार्पण हुआ है।


स्मरण :

साल 2021 को चौरी-चौरा घटना के शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।