प्रतीकात्मक तस्वीर |
गढ़िया पहाड़ कांकेर जिले का सबसे ऊंचा पहाड़ है। इसकी ऊंचाई करीब 660 फिट है। ऐतिहासिक दृष्टि से इस पहाड़ का काफी महत्व है। मान्यतानुसार धर्मदेव नाम के एक कंड्रा / कंद्रा राजा का किला हुआ करता था। राजा ने ही यहां पर तालाब का निर्माण कराया था। वर्तमान में यहां प्रत्येक वर्ष गढ़िया महोत्सव भी आयोजित किया जाता है
नहीं सूखने वाला तालाब :
धर्मदेव ने ही यहां पर तालाब का निर्माण कराया था। राजा की सोनई और रुपई नाम की दो बेटियां थीं। वो दोनों इसी तालाब के आसपास खेला करती थीं। एक दिन दोनों तालाब में डूबने से उनकी मौत हो गयी। तब से लोगो की मान्यता है की सोनई-रुपई की आत्माएं इस तालाब की रक्षा करती हैं, इसलिए इसका पानी कभी नहीं सूखता।
फांसी भाठा :
राजशाही के जमाने में फांसी भाठा में अपराधियों को मृत्यु दंड दिया जाता था। यहां अपराधियों को ऊंचाई से नीचे फेंका जाता था।
टूरी हटरी :
यह पहाड़ी के ऊपर स्थित एक मैदान है। गढ़िया किले का यह स्थान दैनिक बाजार के साथ जन सम्मेलन, मेला, सभा आदि के उपयोग आता था। यहाँ किले में निवास करने वाले राजा और उनके सैनिकों की आवश्यकता की वस्तुएं बिक्री के लिए आती थीं। इस बाजार में विक्रय करने के लिए लड़कियां सामग्री लाया करती थीं। इसी कारण इस स्थान का नाम टूरी हटरी (बाजार) पड़ा।
यहां स्थित अन्य पर्यटन स्थल : जोगी गुफा, झंडा शिखर, खजाना पत्थर, छुरी पगार।