5/02/2022

बौद्ध धर्म और छत्तीसगढ़ Buddhism and Chhattisgarh

ऐतिहासिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ में बौद्ध धर्म का अच्छा प्रभाव रहा है। छत्तीसगढ़ मेँ बौद्ध धर्म से संबंधित जानकारी क्षेत्रीय राजवंशो के द्वारा बौद्ध धर्म को संरक्षण प्रदान करने और स्थापत्य व प्रतिमाओ के रूप मे पुरातात्विक साक्ष्य प्राप्त हुये है। बौद्ध ग्रंध अवदानशतक में भी वर्णन है कि बौद्ध धर्म के सस्थापक गौतम बुद्ध अपने दक्षिण कोसल के यात्रा वृतांत मे सिरपुर आए थे। 


1. बोद्ध भिक्षुक नागार्जुन

पहली शताब्दी मेँ बोद्ध भिक्षुक नागार्जुन का सातवाहन शासकों के काल मेँ सिरपुर आगमन हुआ था। सातवाहन शासकों द्वारा नागार्जुन के विश्राम हेतु सिरपुर मेँ पाँच मंज़िला संघाराम (महल) का निर्माण करवाया था।


2. बोद्ध भिक्षुक आनंद एवं स्वास्तिक विहार

गौतम बुद्ध के शिष्य आनंद प्रभु से संबंधित यह स्थल सिरपुर में स्थित है। इसका निर्माण छत्तीसगढ़ में पांडु वंश के शासक बालार्जुन के शासन काल में किया गया था। आनंद प्रभु कुटी विहार बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान था और लगभग 7वीं-8वीं शताब्दी में निर्मित यह स्थल 'आनंद प्रभु' नामक बौद्ध भिक्षु से संबंधित पूजा का स्थान था। यहाँ मुख्य कक्ष में भगवान बुद्ध की एक बड़ी प्रतिमा स्थापित है।


स्वस्तिम विहार :

यह स्थल "आनंद प्रभु" से करीब 400 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह आनंद प्रभु कुटी विहार के समकालीन है। इस स्थल की आकृति स्वास्तिक के समान होने के कारण इसे स्वास्तिक विहार नाम पड़ा। मुख्य कक्ष में भगवान बुद्ध की एक बड़ी प्रतिमा स्थापित है। 


3. व्हेनसांग ( युवान चांगस )

प्रसिद्ध चीनी यात्री व्हेनसांग बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर  पांडुवंशी शासक महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासनकाल में 639 ई. में छत्तीसगढ़ आए थे।

व्हेनसांग ने सिरपुर यात्रा वृतांत का वर्णन सी यू की नामक पुस्तक में छत्तीसगढ़ का उल्लेख किया स लो के नाम से किया है। व्हेनसांग ने सिरपुर और मल्हार की यात्रा की थी। 

सी.यु.की. में उल्लेख मिलता है की भगवान बुद्ध 3 माह तक दक्षिण कोसल में रुके थे। 


4. पुरातात्विक खोज

वर्ष 2015 में छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार से 14 किलोमीटर दूर डमरू (Damrooo) गांव में चल रही पुरातात्विक खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध के पैरों के चिह्न मिले हैं। पुरातत्ववेत्ताओं का अनुमान है कि बलौदाबाजार जिले का डमरू गांव पांचवीं सदी में ' हीनयान समुदाय' का प्रमुख केंद्र रहा होगा।

वर्ष 2017 में छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले से करीब 70 किलोमीटर दूर भोंगापाल में खुदाई के दौरान छठी शताब्दी की बुद्ध प्रतिमा प्राप्त हुई।