जिस प्रकार से प्रत्येक देश की जल एवं थल सीमा रेखा होती, जो उसे अन्य देशो से अलग रखती है, ऐसे ही पृथ्वी और अन्तरिक्ष के मध्य भी एक आभाषी रेखा है जो धरती को अंतरिक्ष से अलग रखती है। इस रेखा के पार जाने पर ही हम कह सकते है कि कोई वस्तु अंतरिक्ष में पहुंच गयी। इस रेखा को Karman Line (कारमन रेखा) कहते है।
कर्मन रेखा की तुलना हम अंतर्राष्ट्रीय जल रेखा से कर सकते है, क्योंकि इस रेखा से परे कोई राष्ट्रीय सीमाएँ और मानव कानून लागू नहीं होते हैं। इस स्तर से ऊपर स्वतंत्र अंतरिक्ष होता है।
नाम कैसे पड़ा ?
इस रेखा का नाम हंगरी-अमेरिकी वैज्ञानिक थियोडोर वॉन कारमन (Theodore Von Kamran) के नाम पर दिया गया था। इन्होंने वर्ष 1957 में पृथ्वी और अंतरिक्ष के मध्य की सीमा रेखा को परिभाषित किया था।
यह कितनी ऊंचाई ( Height ) पर है ?
कार्मन रेखा की सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत ऊंचाई समुद्र तल से 100 किमी ऊपर है। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका इस ऊंचाई को 80 किलोमीटर (मीजोस्फीयर - 50 - 80 किलोमीटर, और थर्मोस्फीयर - 80 किलोमीटर से ऊपर मानता है।