9/11/2022

रावघाट से लौह अयस्क का भिलाई इस्पात संयंत्र तक पहुँचने की कहानी

प्रतीकात्मक तस्वीर

रावघाट, छत्तीसगढ़ के कांकेर और नारायणपुर ज़िले में स्थित है। यहाँ की पहाड़ियों में लौह अयस्क के छह ब्लॉक हैं, जिनमें 712 मिलियन टन लौह अयस्क होने का अनुमान लगाया गया था। इस लौह अयस्क का इस्तेमाल भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए होना था। क्यों कि भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए जिस दल्ली राजहरा के खदानों से लौह अयस्कों की आपूर्ति होती थी वहां पर्याप्त लौह अयस्क नहीं बचा था। इस वजह से,  भिलाई इस्पात संयंत्र को लौह अयस्क की आपूर्ति के लिए सुरु की गई रावघाट परियोजना।


जानते है इस परियोजना की कहानी: 

रावघाट में लौह अयस्क के भंडार की खोज वर्ष 1899 में हुई थी। इसके बाद आजाद भारत में वर्ष 1949 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के द्वारा भी इस क्षेत्र की जांच की गयी।

लौह अयस्क का रावघाट से भिलाई इस्पात संयंत्र के परिषर तक पहुचने के कहानी की सुरुआत आज से करीब 39 वर्ष पूर्व हुई जब भारत सरकार के उपक्रम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी सेल के भिलाई इस्पात संयंत्र ने पहली बार 30 अगस्त, 1983 को रावघाट की लौह अयस्क की खदानों के लिए भारत सरकार को आवेदन दिया। 

यहां उपस्थित लौह अयस्क को भिलाई इस्पात संयंत्र तक पहुँचने के लिए रेल लाईन की आवश्यकता थी, परंतु इसका विरोध माओवादियों ने वर्ष 1990 में ही प्ररंभ कर दिया था।

छत्तीसगढ़ सरकार ने 9 जून, 2003 को रावघाट के एफ ब्लॉक के कोरेगांव की खदान को निजी कंपनी को देने की मंजूरी दे दी थी, परन्तु बाद में 4 जून, 2009 को भारत सरकार ने भिलाई इस्पात संयंत्र को ही पूरे एफ ब्लॉक में खनन का अधिकार सौंप दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 मई 2015 में दंतेवाड़ा प्रवास के दौरान इस रेल मार्ग में लौह अयस्क और माइनिंग के परिवहन को भी देखते हुए देश की चार बड़ी कंपनियां जिसमें एनएमडीसी, सेल, इस्कॉन और छत्तीसगढ़ मिनिरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन से इस रेल मार्ग के निर्माण के लिए एमओयू किया।एमओयू के बाद रावघाट रेल लाइन परियोजना का कार्य शुरू भी किया गया। और इस प्रकार वर्ष 2009 से प्रस्तावित रावघाट रेल लाइन परियोजना के तहत 10 वर्षो में 3 चरणों में पूर्ण हुआ। इस परियोजना के तहत 13 अगस्त, 2022 को अंतागढ़ से रेल परिवहन की सुरुआत हुई।

भिलाई इस्पात संयंत्र ने रावघाट के अंजरेल में दिसम्बर 2021 में लौह अयस्क उत्खनन का कार्य प्रारंभ किया था। 10 सितम्बर, 2022 को अंतागढ़ से 21 वैगन की प्रथम रैक को लोड किया और भिलाई के लिए रवाना किया। यह रैक 11 सितम्बर, 2022 की सुबह भिलाई इस्पात संयंत्र परिसर में पहुँचा।


By : प्रवीण सिंह