भारत में वक्फ बोर्ड का गठन वर्सग 1964 में तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू की सरकार के द्वारा लाए गए "वक्फ कानून 1954" के तहत किया था। यह एक ऐसा एक्ट है जो शायद की मुस्लिम देश में भी नहीं है।
आखिर ये वक्फ (Waqf) होता क्या है ?
वक्फ का अर्थ होता है "खुदा के नाम पर अर्पित वस्तु", मतलब यदि कोई मुस्लिम व्यक्ति किसी वस्तु, जमीन, मकान आदि को खुदा ( अल्लाह ) को दान कर देता है तो उसकी देखरेख की जिम्मेदारी वक्फ की होती है। वक्फ उस वस्तु का मालिक तो नही होता, परंतु जिम्मेदारी उसकी होती है। वक्फ उस वस्तु का इस्तेमाल मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए इस्तेमाल कर सकता है। परंतु भारत में इससे परेशानी क्या है ? इसमे परेशानी है तत्कालीन सरकारों के द्वारा इस पर कानून बना कर इसे एक सर्वेसर्वा संस्था बना दिया। जो एक धर्मनिरपेक्ष देश के लिए मजाक के जैसा है।
वक्फ बोर्ड कैसे बना ?
वर्ष 1947 में भारत और पाकिस्तान के बटवारे के बाद पाकिस्तान ने हिंदुओं के द्वारा छोड़ी गई जमीन पर कब्जा कर लिया। और, इस जमीन को मुस्लिमों और राज्य सरकार सौंप दिया । लेकिन, महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू ने मुसलमानो के द्वारा भारत में छोड़ी गई सम्पतियों के साथ ठीक उलट किया।
उन्होंने पाकिस्तान जा चुके मुस्लिमों की जमीनों की जानकारी इकट्ठी की और इसे वक्फ को दे दिया। इसके बाद एक धर्मनिरपेक्ष देश होने के वावजूद, वर्ष 1954 में वक्फ कानून भी लाया। इसके बाद वर्ष 1964 में वक्फ बोर्ड का गठन भी किया। परंतु इसके बाद वर्ष 1995 में इसे कॉंग्रेस के पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने मजबूत भी किया।
वर्ष 1995 से पहले वर्ष 1989 में तत्कालीन सरकार ने एक आदेश के बाद वे सामान्य संपत्तियां जो वक्फ के रूप में इस्तेमाल में लाई जा रही थी उन्हें वक्फ की संपत्ति के रूप में दर्ज कर लिया गया।
वर्ष 1995 का वक्फ एक्ट और इसकी निरंकुश शक्तियां :
वक्फ एक्ट 1995 की धारा 2 (बी) के अनुसार वक्फ का सदस्य मुस्लिम धर्म से ही होगा। इस एक का धारा 3(आर) कहता है, कोई संपत्ति किसी भी उद्देश्य के लिए मुस्लिम कानून के मुताबिक पाक (पवित्र), मजहबी (धार्मिक) या (चेरिटेबल) परोपरकारी मान लिया जाए तो वह वक्फ की संपत्ति हो जाएगी।
वक्फ एक्ट 1995 का आर्टिकल 40 कहता है कि यह जमीन किसकी है, यह निर्धारण वक्फ का सर्वेयर और वक्फ बोर्ड तय करेगा। इस निर्धारण के तीन आधार होते हैं। अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी, अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन का लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है या फिर सर्वे में जमीन का वक्फ की संपत्ति होना साबित हुआ।
इसमें बड़ी बात यह है कि यदि वक्फ आपकी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति बता देता है तो आप उसके खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते। आपको वक्फ बोर्ड से ही गुहार लगानी होगी। इसके बाद वक्फ ही निर्णय लेगा की यह संपत्ति किसकी है। वक्फ बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते। धारा 6 के अनुसार वक्फ से संबंधित विवाद में वक्फ ट्राइब्यूनल का निर्णय अंतिम होगा।
वक्फ एक्ट का धारा 85 कहता है कि ट्राइब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है।
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