पेदम्मा गुड़ी मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के बारसूर शहर इंद्रावती नदी के तट पर स्थित देवी दुर्गा को समर्पित मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 9वीं से 11वीं सदी के बीच छिंदक नागवंशी शासन काल में किया गया था।
शब्द "पेदम्मा", यह दो अलग-अलग शब्दो पेड़ और अम्मा से मिल कर बना हैं, का शाब्दिक अर्थ है 'माताओं की मां' या "सर्वोच्च मां"। वह ग्राम देवताओं के 11 रूपों में से एक है और सर्वोच्च के रूप में जानी जाती है।
वर्ष 1324 में नागवंशियों के पतन के बाद बारसूर की पेदाम्मागुड़ी से चालुक्य शाशक अन्नमदेव ने पेदाम्माजी को दंतेवाड़ा ले जा कर मंदिर में स्थापित कर दिया। तारलागुड़ा में जब देवी दंतावला अपने मंदिर में स्थापित हो गयी, तब तारलागुड़ा का नाम बदल कर दंतावाड़ा हो गया। लोग उसे दंतेवाड़ा कहने लगे।
लाला जगदलपुरी अपनी पुस्तक "बस्तर - लोक कला संस्कृति प्रसंग" में पेदम्मागुड़ी के विषय में लिखते हैं “बारसूर की प्राचीन दंतेश्वरी गुड़ी को नागों के समय में पेदाम्मागुड़ी कहते थे। तेलुगु में बड़ी माँ को पेदाम्मा कहा जाता है। तेलुगु भाषा नागवंशी नरेशों की मातृ भाषा थी। वे दक्षिण भारतीय थे।
Source :