एनालॉग स्पेस मिशन (Analog Space Mission) के अंतर्गत पृथ्वी पर अंतरिक्ष के समान वातावरण तैयार किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष मिशन में आने वाली चुनौतियों को पृथ्वी पर ही समझना और अध्यन करना होता है जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को उन स्थितियों में ढाला जा सके। इस प्रकार के मिशन को ग्राउंड एनालॉग (Ground Analog), सिमुलेशन मिशन (Simulation Mission) या ट्रेनिंग एनालॉग (Training Analog) भी कहते है।
इस प्रकार के मिशनों में कई बार वैज्ञानिक और प्रशिक्षु दूर-दराज के इलाकों में जाकर काम करते हैं। इन जगहों पर वे ऐसे वातावरण में रहते हैं जो अंतरिक्ष यान के अंदर या अन्य ग्रहों की सतह पर जीवन जैसी स्थितियाँ प्रदान करते हैं। इन मिशनों से अंतरिक्ष यात्रियों की मानसिक और शारीरिक क्षमता के अलावा विभिन्न उपकरणों का भी परीक्षण, और मिशन में आने वाली संभावित समस्याओं का पता लगाया जाता है।
विश्व का पहला एनालॉग स्पेस मिशन वर्ष 1958 मे USA के अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा सुरु किया गया था, जिसका नाम "प्रोजेक्ट मर्करी" (Project Mercury) था। USA के अलावा रूस, चीन और यूरोपीय संघ ने भी एनालॉग मिशन चलाये है।
भारत :
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 1 नवंबर, 2024 को भारत के पहले एनालॉग अंतरिक्ष मिशन की शुरुआत की घोषणा की। इसे लेह में स्थापित किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि भविष्य के भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अपने अंतरिक्ष मिशनों में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।