ADEO – Assistant Development Extension Officer
पंचायत, एक राज्य सूची का विषय है।
पंचायती राज को संवैधानिक स्तिथि प्रदान करने की सिफारिश एल.एम.सिंघवी समिति ने की।
नियमित चुनाव की सिफारिश सरकारिया आयोग ने की।
त्रिस्तरीय पंचायत की सिफारिश बलवंत मेहता समिति। दो स्तरीय - अशोक मेहता समिति।
पंचायती राज को संवैधानिक स्तिथि प्रदान करने की सिफारिश एल.एम.सिंघवी समिति ने की।
नियमित चुनाव की सिफारिश सरकारिया आयोग ने की।
त्रिस्तरीय पंचायत की सिफारिश बलवंत मेहता समिति। दो स्तरीय - अशोक मेहता समिति।
73वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा पंचायती राज अधिनियम लागू हुआ। नगर पालिकाओं के संबंध में 74 वें संसोधन 1993।
भाग 9 में कुल 16 अनुच्छेद तथा 11वी अनुसूची में कुल 29 विषय समाहित है।
भाग 9 में कुल 16 अनुच्छेद तथा 11वी अनुसूची में कुल 29 विषय समाहित है।
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पंचायती राज अधिनियम 1992 के बारे में जानने के लिए यहां click करें।
132 धाराओ के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें
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पंचायत - गठन:
- पंचायत का क्षेत्र राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है।
- पंचायतों का कार्यकाल 5 वर्षो के लिए होता है।
- पंचायत चुनाव कराने का निर्णय राज्य सरकार लेती है।
- पंचायत चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कराया जाता है। अनु. 243 (ट)।
- छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था है।
- त्रिस्तरीय: जिला स्तरीय, खंड स्तरीय - जनपद, ग्राम स्तरीय- ग्राम पंचायत।
- एक ग्राम पंचायत निर्वाचित पंच तथा सरपंच से मिलकर बनाता है।
- बैठक में आधे से अधिक सदस्यों के उपास्थि होने से कोरम पूरा होगा।
- ग्राम पंचायत में न्यूनतम 10 तथा अधिक्तम 20 वार्ड होते है।
- पंचायत सदस्य के निर्वाचन हेतु न्यूनतम आयु 21 वर्ष है।
- 30 वर्ष से कम आयु का निरक्षर व्यक्ति पदाधिकारी नही हो सकता।
- पंचायतो का कार्यकाल प्रथम बैठक की तारीख से शुरू माना जाता है।
- प्रथम बैठक: ग्राम में सचिव, जनपद एवं जिला में CEO बुलाता है।30 दिनों के भीतर।
- पंचायत ( पंच/सरपंच की जगह रिक्त होने पर ) भांग होने की पर 6 माह के भीतर निर्वाचन किया जाता है।
- उपसरपंच पद का उम्मीदवार निर्वाचित पंचो में से कोई होता है।
ग्राम सभा:
- ग्राम सभा का गठन राज्यपाल करता है।
- इसके सदस्य, ग्राम पंचायत के सभी मतदाता हिट है।
- यह सभी कभी भांग या विघटित नही होती।
- सालाना बैठक दिसम्बर माह में होता है।
- यह सभा ग्राम पंचायतों के कार्यो का सामाजिक अंकेक्षण करता है।
- सरपंच को वापस बुलाने के लिए कुल सदस्यों में से 1/3 का हस्ताक्षर होना आवश्यक है।
- वापस बुलाने की सूचना अनुविभागीय अधिकारी को दिया जाता है।
ग्राम सभा के बैठक में कोरम:
- सामान्य क्षेत्रों में 1/10 सदस्य जिसमे से 1/3 महिला सदस्य हो।
- अनुसूचित क्षेत्र में 1/3 सदस्य जिसमे से 1/3 महिला सदस्य हो।
आरक्षण:
- आरक्षण का निर्धारण कलेक्टर द्वारा लाटरी पद्धति द्वारा चक्रानुक्रम में 2 पंचवर्षीय कार्यकाल के लिए किया जाता है।
- मूल संविधान में महिलाओं को ग्राम पंचायत में1/3 आरक्षण प्राप्त है। छत्तीसगढ़ में महिला आरक्षण 1/2 (50%) है।
- अनुसूचित जाति SC, अनुसूचित जनजाति ST की जनसंख्या की प्रतिशत के आधार पर आरक्षण।
- पिछड़ा वर्ग OBC को 25% आरक्षण। अगर SC तथा ST का जनसंख्या प्रतिशत 50% से अधिक है तो OBC वर्ग को आरक्षण प्राप्त नही होगा।
- यदि सरपंच अरकक्षित वर्ग का नही है तो उपसरपंच आरक्षित वर्ग का ही होगा।
अनुसूचित क्षेत्र में आरक्षण:
- अनुसूचित क्षेत्रों में सरपंच/अध्यक्ष पद आरक्षित रहेंगे।
- यदि जनप्रतिनिधि नही है तो निर्वाचित सदस्यों के 1/10 भाग तक नामनिर्दिष्ट करने का प्रावधान।
अविश्वास प्रस्ताव:
- ग्राम पंचायत में सरपंच और उपसरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।
- अविश्वास प्रस्ताव की सूचना पर 1/3 सदस्यों का हस्ताक्षर जरूरी होता है।
- अविश्वास प्रस्ताव की सूचना मिलने के15 दिनों के बाद समक्ष अधिकारी बैठक बुलाता है। बैठक की सूचना 7 दिनों पहले दिया जाता है।
- अविश्वास प्रस्ताव के बैठक की अध्यक्षता समक्ष अधिकारी करता है।जैसे कि सरपंच/उपसरपंच के लिये नायाब तहसीलदार या अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)।
- अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के लिए उपस्थित/मतदान करने वाले सदस्यों के 1/3 बहुमत, जो पंचायत गठन करने वाले सदस्यों के 2/3 से अधिक हो।
- अविश्वास प्रस्ताव, पद ग्रहण के एक साल बाद, एक बार प्रस्ताव नामंजूर होने के 1 वर्ष बाद या कार्यकाल समाप्त होने के 6 माह पुर्व।
- अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के 7 दिनों के भीतर सरपंच/उपसरपंच, 10 दिनों के भीतर जनपद अध्यक्ष/उपाध्यक्ष, 15 दिनों के भीतर जिला पंचायत अध्यक्ष/उपाध्यक्ष इसकी विधिमान्यता को चुनौती दे सकता है।