4/01/2022

विक्रम संवत और इतिहास - Vikram Samvat and history in Hindi



विक्रम संवत ( Vikram Smavat), इसे बिक्रम संवत और विक्रमी कैलेंडर के रूप में भी जाना जाता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में इस्तेमाल किया जाने वाला ऐतिहासिक हिंदू कैलेंडर है। इस कैलेंडर में चंद्र महीनों और सौर नाक्षत्र वर्षों का उपयोग करता है। यह नेपाल का आधिकारिक कैलेंडर भी है। वर्ष 1901 ईस्वी में नेपाली बिक्रम संबत शुरू किया गया, यह भी सौर नाक्षत्र वर्ष का उपयोग करता है। 


विक्रम संवत सूर्य-चंद्र की गति पर आधारित है। इसमें बारह संयुक्त चंद्र महीने और 365 सौर दिन होते है। चंद्र वर्ष की शुरुआत चैत्र मास की अमावस्या से होती है। यह दिन, जिसे चैत्र सुखलदी के नाम से जाना जाता है। भारत में इस दिन वैकल्पित अवकाश होता है। इस कैलेंडर में एक लीप माह (अधिक मास) हर तीन साल में लगभग एक जोड़ा जाता है।


इतिहास :

उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रमणकारी शकों को हराकर उज्जैन से बाहर खदेड़ा इस घटना को मनाने के लिए, 57 ई.पू. में  उन्होंने "विक्रम युग" नामक एक नए युग की शुरुआत की और विक्रम संवत की स्थापना की थी। इस संवत का प्रारम्भ गुजरात में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से (नवम्बर, ई. पू. 58) और उत्तरी भारत में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा (अप्रैल, ई. पू. 58) से माना जाता है। 


हिन्दू नव वर्ष :

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से विक्रमी कैलेंडर का नव वर्ष प्रारम्भ होता है जिसे सनातनी हिन्दू समाज के द्वारा नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। भारत के उत्तरी भाग में इसे चैत्र नव वर्ष या चैत्र प्रतिपदा कहा जाता है। इस दिन को उगादी (Ugadi) नाम से तेलुगु नव वर्ष और कन्नड़ नव वर्ष के रूप में जाना जाता है जबकि गुड़ी पड़वा नाम से मराठी नव वर्ष है। गोवा और अन्य कोंकण समुदाय के द्वारा इस दिन को संवत्सर पड़वा के रूप में मनाया जाता है। सिंधी समाज के द्वारा इस दिन को चेटीचण्ड/चेट्रीचंड्र (Chetri Chandra) के रूप में मनाया जाता है जिसे सिंधी नाव वर्ष कहा जाता है।


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