महाशिव तीवर देव छत्तीसगढ़ के पाण्डु वंश के एक प्रतापी राजा थे। ये नंदराज प्रथम के पुत्र थे। इन्होंने 'त्रिलिंगधिपति' की उपाधि धारण की थी। इसके अलावा इन्होंने राजाधिराजधिराज एवं परमवैष्णव की भी उपाधि धारण की थी। इनकी मुद्रा में गरुण उत्कीर्ण किया गया था।
ये वैष्णव धर्म के अनुयायी थे। ताम्रपत्रों में इन्हें महाशिव तीवरदेव के रूप में वर्णित किया गया है। इनकी मुद्राओ में तीवरदेव उत्कीर्ण है। महाशिव इनकी शाही उपाधि थी।
इनकी पुत्री का विवाह नंदराज से हुआ था। अपने दामाद को पंचमहाशब्द की उपाधि प्रदान की थी।
ये वैष्णव धर्म के अनुयायी थे। ताम्रपत्रों में इन्हें महाशिव तीवरदेव के रूप में वर्णित किया गया है। इनकी मुद्राओ में तीवरदेव उत्कीर्ण है। महाशिव इनकी शाही उपाधि थी।
इनकी पुत्री का विवाह नंदराज से हुआ था। अपने दामाद को पंचमहाशब्द की उपाधि प्रदान की थी।