महाराणा प्रताप उदयपुर, मेवाड में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे। वे एक महान योद्धा और अदभुत शौर्य व साहस के प्रतीक है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग (पाली) में हुआ था। हिन्दू तिथि के हिसाब से इनका जन्म ज्येष्ठ शुक्ल की तृतीया को हुआ था।
महान हिन्दू शासक महाराणा प्रताप के बारे में खास बातें
1) महाराणा प्रताप का जन्म महाराजा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कंवर के घर में हुआ था। उन्हें बचपन और युवावस्था में कीका नाम से भी पुकारा जाता था। ये नाम उन्हें भीलों से मिला था जहां उन्होंने शुरुआती दिन बिताए थे। भीलों की बोली में कीका का अर्थ 'बेटा' बेटा होता है।
2) महाराणा प्रताप के पास चेतक नाम का एक घोड़ा था। प्रताप की वीरता की कहानियों में चेतक का अपना स्थान है। उसकी फुर्ती, रफ्तार और बहादुरी की कई लड़ाइयां जीतने में अहम भूमिका रही।
3) महाराणा प्रताप के जिवन की सबसे ऐतिहासिक लड़ाई थी- 1576 में हल्दीघाटी का युद्ध जिसमें उनका मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की विशाल सेना से आमना-सामना हुआ। इस जबरदस्त युद्ध में करीब 20 हजार सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने 80 हजार मुगल सैनिकों का सामना किया। इस युद्ध के बाद मेवाड़, चित्तौड़, गोगुंडा, कुंभलगढ़ और उदयपुर पर मुगलों का कब्जा हो गया था। अधिकांश राजपूत राजा मुगलों के अधीन हो गए लेकिन महाराणा ने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया।
4) वर्ष 1582 में दिवेर के युद्ध में राणा प्रताप ने उन क्षेत्रों पर फिर से कब्जा जमा लिया था जो कभी मुगलों के हाथों गंवा दिए थे। कर्नल जेम्स टॉ ने मुगलों के साथ हुए इस युद्ध को मेवाड़ का मैराथन कहा था। 1585 तक लंबे संघर्ष के बाद वह मेवाड़ को मुक्त करने में सफल रहे।
5) वर्ष 1596 में शिकार खेलते समय उन्हें चोट लगी जिससे वह कभी उबर नहीं पाए। 19 जनवरी 1597 को सिर्फ 57 वर्ष आयु में चावड़ में उनका देहांत हो गया।
महान हिन्दू शासक महाराणा प्रताप के बारे में खास बातें
1) महाराणा प्रताप का जन्म महाराजा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कंवर के घर में हुआ था। उन्हें बचपन और युवावस्था में कीका नाम से भी पुकारा जाता था। ये नाम उन्हें भीलों से मिला था जहां उन्होंने शुरुआती दिन बिताए थे। भीलों की बोली में कीका का अर्थ 'बेटा' बेटा होता है।
2) महाराणा प्रताप के पास चेतक नाम का एक घोड़ा था। प्रताप की वीरता की कहानियों में चेतक का अपना स्थान है। उसकी फुर्ती, रफ्तार और बहादुरी की कई लड़ाइयां जीतने में अहम भूमिका रही।
3) महाराणा प्रताप के जिवन की सबसे ऐतिहासिक लड़ाई थी- 1576 में हल्दीघाटी का युद्ध जिसमें उनका मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की विशाल सेना से आमना-सामना हुआ। इस जबरदस्त युद्ध में करीब 20 हजार सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने 80 हजार मुगल सैनिकों का सामना किया। इस युद्ध के बाद मेवाड़, चित्तौड़, गोगुंडा, कुंभलगढ़ और उदयपुर पर मुगलों का कब्जा हो गया था। अधिकांश राजपूत राजा मुगलों के अधीन हो गए लेकिन महाराणा ने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया।
4) वर्ष 1582 में दिवेर के युद्ध में राणा प्रताप ने उन क्षेत्रों पर फिर से कब्जा जमा लिया था जो कभी मुगलों के हाथों गंवा दिए थे। कर्नल जेम्स टॉ ने मुगलों के साथ हुए इस युद्ध को मेवाड़ का मैराथन कहा था। 1585 तक लंबे संघर्ष के बाद वह मेवाड़ को मुक्त करने में सफल रहे।
5) वर्ष 1596 में शिकार खेलते समय उन्हें चोट लगी जिससे वह कभी उबर नहीं पाए। 19 जनवरी 1597 को सिर्फ 57 वर्ष आयु में चावड़ में उनका देहांत हो गया।