प्रकृति प्रेमियों के लिए झारखंड राज्य भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस पोस्ट में हम झारखंड के कुछ जलप्रपातों के बारे में बात करने वाले है :
बूढ़ाघाघ जलप्रपात (BudhaGhagh Fall) :
यह जलप्रपात झारखंड के लातेहार जिला के महुआडांड से 15 किमी दुरी पर पलामू टाइगर रिजर्व में उत्तरी कोयल नदी की सहायक नदी बूढ़ा नदी पर स्थित है। इसे लोधाघाघ एवं लोध जलप्रपात भी कहा जाता है। बूढ़ाघाघ जलप्रपात की ऊंचाई 450 फीट है, यह झारखण्ड का सबसे ऊँचा जलप्रपात है।
घाघरी जलप्रपात (Ghaghri Fall) :
घाघरी नदी पर दो जलप्रपात स्थित है जिंन्हे ऊपरी घाघरी जलप्रपात और निचला घाघरी जलप्रपात कहते है।
ऊपरी घाघरी जलप्रपात, नेतरहाट से 4 किमी की दूरी पर नेतरहाट बांध के नीचे स्थित है। यह एक छोटा जलप्रपात है।
निचला घाघरी जलप्रपात लातेहार जिले में नेतरहाट से 10 किमी की दूरी पर औरंगा नदी की सहायक नदी घाघरी पर अवस्थत है। इस जलप्रपात की ऊंचाई 322 फिट है।
हुण्डरू जलप्रपात (Hundru Fall) :
यह जलप्रपात रांची से 36 किमी पूर्व अनगड़ा प्रखण्ड में स्वर्ण रेखा नदी पर स्थित है। इस जलप्रपात की ऊंचाई 320 फीट है। यह झारखण्ड राज्य का तीसरा सबसे ऊँचा जलप्रपात है। इस जलप्रपात के संबंध में विशेष बात यह है कि भूवैज्ञानिको के अनुसार इस प्रपात का निर्माण राँची स्कार्प के निर्माण के समय माना जाता है। इसे भ्रंश रेखा पर निर्मित प्रपात भी कहा जा सकता है।
इस जलप्रपात के निकट ही स्वर्णरेखा नदी पर सिकिदरी पन बिजली परियोजना स्थित है।
सदनी घाघ जलप्रपात (Sadani Ghagh Fall) :
यह जलप्रपात गुमला जिले में शंख नदी पर में स्थित है। इस प्रपात की ऊंचाई लगभग 61 मीटर यानी करीब 200 फीट है। यह झारखंड के तीसरा साबसे ऊंचा जलप्रपात है। यह स्थल पर्यटकों के मध्य बहुत प्रसिद्ध है।
गुरु सिंधु जलप्रपात (Guru Singhu Fall) :
गुरु सिंधु जलप्रपात गढ़वा जिले के चिनिया प्रखंड से 15 किलोमीटर दूर चपकली गांव के समीप झारखण्ड व छत्तीसगढ़ की सीमा को विभाजित करने वाली कनहर नदी पर स्थित है। इस जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 200 फीट है।
मोतीझरा जलप्रपात (Motijharna fall)
यह जलप्रपात राज्य के साहेबगंज जिले के तालझारी प्रखण्ड में मोतीझरा गांव में स्थित है। गांव के ही नाम पर जलप्रपात का नाम "मोतीझरा जलप्रपात" है। यह महाराजपुर के दक्षिण-पश्चिम में राजमहल पहाड़ियों पर है। इस जलप्रपात की ऊंचाई 150 फीट है। यह जलप्रपात अजय नदी पर स्थित है। इस जलप्रपात की बंदे मोतियों के समान दिखाई देती हैं, इसलिए इसे मोतीझरा जलप्रपात कहा जाता है।
जोन्हा जलप्रपात (Jonha Fall):
यह जलप्रपात राँची से 32 कि.मी. दक्षिण-पूर्व में रादू नदी पर जोन्हा गांव में स्थित है। इस प्रपात को गौतमधारा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहाँ एक गौतम बुद्ध को समर्पित मंदिर का भी निर्माण किया गया है। जोन्हा जलप्रपात के बारे में विशेष बात यह है कि यह प्रपात भी हुडरू प्रपात की तरह स्कार्प एवं भ्रंश रेखा पर निर्मित है। इस प्रपात की ऊंचाई 150 फीट (50 मीटर) ऊँचा जल प्रपात का निर्माण हुआ है। इसके पास ही सीताधारा नाम का एक छोटा-सा प्रपात स्थित है।
इंद्रा जलप्रपात ( Indra Fall)
इंद्रा जलप्रपात झारखंड राज्य के लातेहार जिले के तुबेद गांव के पास स्थित है। यह जलप्रपात घने जंगलों, पहाड़ों और नदियों से घिरा हुआ है। इंद्रा जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 30 फिट है। । झुका हुआ गुफा और तुबेद डैम्स भी देख सकते हैं, जो झरने के नजदीक हैं। इसके निकटवर्ती पर्यटन स्थलो में तुबेद गुफा , ततहा पानी अदि प्रमुख है।
गौतमघाघ : पलामू जिला के महुआटांड के पास स्थित है। इसकी ऊँचाई 36 मीटर है। यह 120 फीट ऊँचा प्रपात है।
बूढ़ाघाघ : राँची के जमीरा पात से उतरने वाली बूढ़ी नदी पर स्थित है। यह राँची जिले में स्थित है। इसे लोधा घाघ भी कहा जाता है। यह महुआडांड़ से 14 किमी. पर लातेहार जिले में 450 फीट ऊँचा है तथा झारखण्ड का सबसे ऊँचा प्रपात है।
रजरप्पा प्रपात : रांची से लगभग 65 किमी की दूरी पर स्थित है। यह रामगढ़ के पास भैरवी और दामोदर नदी के संगम पर स्थित है। इस जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 12 फिट है। इस जलप्रपात का निर्माण भैरवी नदी पर दामोदर नदी में गिरते समय होती है।
मुनीडीह प्रपात : धनबाद-बोकारो रोड में मुनीडीह खदान (धनबाद) के पास जंगल में भटिंडा जलप्रपात दामोदर नदी के तट पर अवस्थित है। यहां का जलप्रपात काफी गहरा है। पानी के कारण यहां फिसलन भी बहुत रहती है।
मिरचहया प्रपात : यह लातेहार जिले के गुरु ब्लाक से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह बेतला बाघ परियोजना क्षेत्र में आता है। इसका निर्माण उत्तरी कोयल नदी के एक सहायक नदी से हुआ है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ कभी काले ग्रेनाइट का लावा बहता था जो आज एक गुंबद की तरह काले चट्टान के रूप में खड़ा है। यह गारु नेतरहाट सड़क के बाई तरफ लगभग 50 मीटर की दूरी पर है।
सुखलदरी / सुखलधरी जलप्रपात : गढ़वा जिले के नगर ऊँटारी से 35 किलोमीटर दक्षिण में कन्हर नदी पर स्थित है। इस जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 100 फीट है।
बलचौरा जलप्रपात : गढ़वा जिले के घुरकी प्रखंड में स्थित सुखलदरी से 10 किलोमीटर की दूरी पर कनहर नदी पर स्थित है। बरसात के दिनों में इस प्रपात की आवाज तीन-चार कि.मी. तक सुनाई देती है।
दशम जलप्रपात : दशम जलप्रपात तमारा गांव के पास रांची-टाटा रोड पर रांची शहर से 34 किमी दूर कचनी नदी पर स्थित है। इस जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 144 फीट है। यह जलप्रपात 10 पानी की धाराएं बनाती हुई गिरती जिस वजह से इसे दशम जलप्रपात कहते है।
डूमारो जलप्रपात : हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर डूमारो नदी में स्थित है। डूमारो गुफा के बगल में लगभग 100 मीटर ऊंचा पर्वत से पानी गिरता है। जिस स्थल पर पानी गिरता है, वहां छोटी सी झील बन गयी है। उस झील से लगभग 100 मीटर पहाड़ से नीचे पानी गिरता है। जो चट्टानों व पहाड़ों को काटते हुए डूमारो नदी में जा गिरता है। डूमारो नदी का उद्गम स्थल डूमारो जलप्रपात ही है। डूमारो दामोदर नदी की सहायक नदी है।
बंदरचुवां / बंदरचुआं जलप्रपात : हजारीबाग जिले में बंदरचुवा जलप्रपात महुदी पर्वत पर स्थित है। यह एक मौसमी जलप्रपात है, बरसात के दिनों में काफी ऊंचाई से पानी गिरता है।
टिपटिप वर्षा : बड़कागांव उरीमारी रोड स्थित मल्डीजंगल के पास यह टिप टिप वर्षा स्थल है। यहां गर्मी हो या बरसात पानी हमेशा टिप टिप बारिश की तरह टपकते रहता है। जिस वजह से इसे टिपटिप वर्षा कहा जाता है।
सुग्गाबांध जल प्रपात : सुग्गाबांध झरना बरसांड के नजदीक झारखण्ड के लातेहार जिले में स्थित है। यह पलामू टाइगर रिजर्व के करीब है और बेतला से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित है।
कांति जलप्रपात : यह जलप्रपात लातेहार जिले में लातेहार से लगभग 47 किलोमीटर की दूरी पर रांची- मेदिनीनगर रोड से 7 किलोमीटर की दूरी पर सेन्हा ग्राम में स्थित है। इस जल प्रपात की ऊँचाई लगभग 200 फीट है।
जयन्तगढ़ प्रपात : यह चाईबासा से 58 कि. मी. दक्षिण बैतरनी नदी पर स्थित जयन्तगढ़ का गाँव है। जयन्तगढ़ से करीब 6 कि. मी. पश्चिम, बैतरनी पर एक धार्मिक स्थान है जिसे रामतीर्थ कहते हैं। यह विश्वास किया जाता है। कि श्रीराम जब लंका जा रहे थे तो वे इस स्थान पर ठहरे थे। इसमें एक गहरी प्राकृतिक जल भंडार है जो एक छोटे से जल प्रपात द्वारा भरा जाता है। ऐसे लोगों का विश्वास है, स्थानीय लोगों का विश्वास है। कि यहाँ राम, लक्ष्मण एवं सीताजी के पद चिह्न हैं।
देमू झरना : पलामू जिला में एक स्थान है जिसका नाम है सप्तवाहिनी । इस स्थान पर पोड़ी नदी 4 या 5 मीटर की ऊँचाई से गिरती है, तथा एक झरने का निर्माण करती है। यहाँ पर दुर्गा एवं महावीर जी की अनेकों मूर्तियाँ है। यह स्थान बहुत ही धार्मिक एवं पर्यटकों का आकर्षण का केन्द्र है।
घाघरा जलप्रपात : हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखंड में उन्टारी गाँव के निकट स्थित है। इसकी ऊंचाई लगभग 70 फिट है।
हरियोकर फाल : यह चतरा से उत्तर-पूर्व 35 कि. मी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर दो जल प्रपात हैं जो पहाड़ी तली पर एक बड़े जल-भंडार का निर्माण करते हैं।
पंचघाघ प्रपात : वास्तव में यह पांच झरनों का एक समूह है, जिसे देहाती भाषा में पंच घाघ कहा जाता है। यहां पर बनाई नदी विभाजित होकर पांच झरनों में बंट जाती है। यह खूँटी से 14 कि.मी. की दूरी पर स्थित पाँच बहनों की कथा से जुड़ा प्रपात है।
उसरी प्रपात : यह प्रपात गिरिडीह जिले के उसरी नदी में धनबाद से 52 कि.मी. दूर मुख्य सड़क से 2 कि.मी अंदर खण्डोली पहाड़ी की ढलान पर स्थित है। उसरी जो बारकर नदी की एक सहायक नदी है। उसरी फॉल तीन अलग धाराओं में बँटा हुआ है।
सेरका जलप्रपात : गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड में बिशुनपुर से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर सेरका नदी पर स्थित है।
पारस पानी : यह लातेहार जिला में नागर नामक स्थान के 25 कि. मी. दूरी पर स्थित है। इस गाँव के किनारे पर स्थित जलप्रपात कनहार नदी पर एक सुन्दर प्रपात है जिसे भू-खाल दरी नाम दिया गया है।
मोतीझरा प्रपात : यह राजमहल पहाड़ी पर महाराजपुर रेलवे स्टेशन से 3 कि.मी. दक्षिण-पश्चिम में राजमहल पहाड़ियों पर 150 फीट ऊँचा प्रपात है जो अजय नदी पर निर्मित होता है।
ओरसापट लोदी झरना: यह नेतरहाट से 10 कि. मी. की दूरी पर स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 1330 मीटर है। ओरसापट में एक विशाल जल प्रपात है जिसका नाम लोदी जल प्रपात है जो 155 मीटर की ऊँचाई से गिरता है। | यह राज्य का सबसे बड़ा जल प्रपात है तथा कभी भी सूखता नहीं है।
प्रेमाघाघ प्रपात : गुमला से 48 कि.मी. दक्षिण रायडीह प्रखंड में यह प्रपात स्थित है।
घरघरिया जलप्रपात : लोहरदगा से 20 कि.मी. दूर पाट क्षेत्र की तलहटी पर यह प्रपात है।
धारागिरि जलप्रपात : यह जलप्रपात सिंहभूम के घाटशिला अनुमंडल क्षेत्र में घाटशिला से 18 कि.मी. पर स्थित है। इसके पास में ही बुरूडीह डैम है। यह क्षेत्र घने वन से घिरा हुआ है।
केलाघाघ जलप्रपात : यह प्रपात सिमडेगा से 3 कि.मी. दक्षिण-पश्चिम में दो पहाडियों के बीच से निकलता है।
थाकोरा जलप्रपात : प. सिंहभूम के मंझारी प्रखंड में विदरी गाँव से 6 कि.मी. दूर यह स्थित है।
हेपाद जलप्रपात : यह प्रपात विशुनपुर से 30 कि.मी. दूर घाघरा नदी का स्रोत स्थल है।
पैरनाघाघ जलप्रपात : यह तपकारा से 5 कि.मी. दूर स्थित है।
नागफेनी जलप्रपात : गुमला से 14 कि.मी. दूर नागफेनी नामक स्थान में यह प्रपात स्थानीय नदी पर बनता है।
सुनुआ जलप्रपात : राँची जिले के अनगड़ा प्रखंड में जहाँ और भी कई प्रसिद्ध प्रपात हैं। अनगड़ा से 12 कि.मी. दूर सुनुआ प्रपात भी है।
बोकारो जलप्रपात : हजारीबाग राँची रोड पर हजारीबाग से 8 कि.मी. पहले भोरांगी गाँव है जहाँ यह प्रपात स्थित हैं।
लुपुंगुटु जलप्रपात : चाईबासा से 2 कि.मी. पर लुपुंगुटु गाँव है जहाँ यह काफी प्रसिद्ध प्रपात है।
पेरघाघ जलप्रपात : इस नाम से दो छोटे प्रपात हैं- एक गुमला के बसिया प्रखंड में तो दूसरा सिमडेगा के कोचेडेगा नाम स्थान में।
सुगाकाटा घाघ जलप्रपात : सिमडेगा से 23 कि.मी. दूर शंख नदी में हरदीबेड़ा और पुरनापानी गाँव के पास यह प्रपात है।
हेसातु और गूंगाझंझ प्रपात : दोनों जलप्रपात गढ़वा जिले में स्थित हैं।
गोआ जलप्रपात : यह चतरा से 6 कि.मी. पश्चिम जलेद गाँव में स्थित है।
तमासिन जलप्रपात : यह चतरा जिले में कान्हाचट्टी प्रखंड से करीब 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
मालुदाह जलप्रपात : यह चतरा जिले में जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसकी ऊंचाई लगभग 50 फिट है।
बरियो जलप्रपात : यह प्रपात चतारा जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
डुमेर सुमेर जलप्रपात : चतारा जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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