रत्नराज / रत्नदेव प्रथम कलचुरि शासक थे। इन्होने १०४५ ई. - १०६५ ई. तक शासन किया। रतनराज कमलराज के पुत्र एवं कलिंगराज के पोते थे छत्तीसगढ़ के क्षेत्र पर विजय प्राप्त की थी जिस वजह से उन्हें कल्चुरी शाखा का वास्तविक संस्थापक माना जाता है
रत्नदेव ने रजधानी तुम्माण में शिव मंदिर एवं पुष्पोद्यान का निर्माण करवाया था। मणिपुर नमक प्राचीन ग्राम को नगर में परिवर्तित कर रत्नपुर ( वर्तमान - रतनपुर ) की स्थापना की। रत्नराज ने अपनी रजधानी तुम्माण से हटकर रत्नपुर में स्थापित किया।
रत्नपुर की समृद्धि की वजह से इसे 'कुबेरपुर या कुबेर नगर' कहा जाता था।