पर्वत द्वारक वंश का शासन क्षेत्र छत्तीसगढ़ के दक्षिण रायपुर ( वर्तमान - गरियाबंद ) में था। इस वंश ने 5 वीं शताब्दी आस-पास में शासन किया। इस वंश के लोग स्तम्भश्वरी देवी के उपासक थे। सोम्मनराज को पर्वत द्वारक वंश का प्रथम राजा माना जाता है।
सोमन्नाराज ने अपनी माता कौस्तुभेश्वरी देवी के बीमार पड़ जाने पर देवभोग नामक ग्राम को दान दिया था। देवभोग क्षेत्र के चावल गरियाबंद जिले की पहचान है। लोक मान्यता है कि पूर्व में देवभोग क्षेत्र का चावल, भगवान जगन्नाथ के भोग के लिए जगन्नाथपुरी भेजा जाता था इसलिए इस इलाके के चावल का नाम देवभोग हो गया।
पर्वत द्वारक वंश के दुसरे शासक तुष्टिकर के तेराशिंघा ताम्रपत्र ( तेल नदी घाटी से प्राप्त ) में इस वंश के दो शासकों के बारे में जानकारी मिलती है।