12/25/2019

गंगरेल बांध / रविशंकर जलाशय - Gangrel Dam / Ravishankar Jalashy


गंगरेल बांध छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में गंगरेल ग्राम में महानदी पर स्थित है। इसकी स्थापना 1978 में की गई थी। इसकी घोषणा 1972 में की गई थी। इस बांध का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा ग़ांधी जी के द्वारा किया गया था। इस बांध का नामकरण स्वतंत्रता सेनानी एवं अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री श्री रविशंकर शुक्ल के नाम पर "रविशंकर जलाशय" किया गया है।
गंगरेल छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ का साबसे बड़ा और लंबा बांध है। इस बांध पर 10 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना संचालित है। गंगरेल बाँध में जल धारण क्षमता 15,000 क्यूसेक है।

जल आपूर्ति:
इस जलाशय भिलाई इस्पात संयंत्र, भिलाई एवं दुर्ग को जल आपूर्ति की जाती है।

धार्मिक:
गंगरेल बांध के एक छोर पर स्थापित आदि शक्ति मां अंगार मोती की मूर्ति पहले करीब 10 किलो मीटर दूर  ग्राम चंवर में स्थापित थी, परंतु अब यह गांव डूब चुका है। इस देवी की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। ग्राम लमकेनी में देवी मनकेशरी विराजित थी, जिन्हें बाद में ग्राम कोड़ेगांव में स्थापित किया गया।- भिड़ावर में रनवासिन माता, कोरलमा में छिनभंगा माता के मंदिर आसपास के क्षेत्रों में आज भी प्रसिद्ध हैं।

महानदी सिंचाई परियोजना में गंगरेल के अलावा, रुद्री, मॉडमसिल्ली, दुधवा आदि शामिल है। वर्ष 1980-81 में विश्वबैंक की सहायता से महानदी काम्प्लेक्स की की स्थापना की गई थी। इसके अंतर्गत सोंढूर एवं पैरी नदी पर सिकासार परियोजना संचालित है।

पर्यटन - छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा
गंगरेल बांध में वाटर स्पोर्ट्स शुरू हुआ है, सैलानी गंगरेल बांध के गहरे पानी में जेट स्काई राइड स्पीड बोर्ड का आनंद उठा सकते हैं। जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य शासन द्वारा गंगरेल बांध में वाट्र स्पोर्ट्स समेत अन्य मनोरंजक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है।
1 जून, 2018 से गुजरात अहमदाबाद की इंटार्टिका सी वल्र्ड नामक कंपनी गंगरेल में वाटर स्पोर्ट्स की शुरूआत की है। इसमें जेट स्काई बोट, क्रूज बोट, पैरा सेल, स्पीड बोट, स्लो बोट मुख्य आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। गंगरेल में ही समुद्र की तरह बोटिंग सुविधा है।

ओना-कोना / ओनाकोना ( Ona-Kona/OnaKona )
रायपुर से लगभग 90 किलोमीटर, धमतरी से 35 किलोमीटर, बालोद से 50 किलोमीटर की दूरी गुरुर ब्लॉक में ओनाकोना गांव स्थित है। यहाँ स्थित मंदिर और वातावरण आकर्षण का केंद्र है।

यहा मंदिर भगवान शिव को समर्पित मंदिर है इसलिए इसे ताम्रकेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। यहा की मूर्ति कला बेहद खूबसूरत है।

मंदिर के संस्थापक तीरथराज फुटान के अनुसार यह मंदिर महाराष्ट्र के नासिक स्थित श्री त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग धाम की तर्ज पर बनाया गया है।